
खबर रफ़्तार, पुणे: महाराष्ट्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने राज्य के मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर समाज में मौजूद प्रतिगामी प्रथाओं जैसे दहेज और विधवाओं से संबंधित प्रथाओं को खत्म करने की मांग की। सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि मानवाधिकार आयोग राज्य सरकार को निर्देश दे कि वह दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त कदम उठाए। यह मांग ऐसे समय की गई है, जब हाल ही में पुणे में दहेज प्रताड़ना से तंग आकर 26 साल की महिला ने आत्महत्या कर ली थी।
पुणे की घटना के बाद लिखा पत्र
वैष्णवी हगवाने, जो एनसीपी पार्टी से बर्खास्त किए गए नेता राजेंद्र हगवाने की बहू थी। वैष्णवी ने 16 मई को पुणे जिले के पिंपरी चिंचवाड़ के बवधान इलाके में आत्महत्या कर ली थी। वैष्णवी के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने बेटी की शादी में 51 तोला सोना और चांदी और एक एसयूवी कार दहेज में दी थी, लेकिन हगवाने परिवार जमीन खरीदने के लिए दो करोड़ रुपये की और मांग कर रहा था। इस मामले में पुलिस ने सास-ससुर, पति, ननद और जेठ को गिरफ्तार कर लिया है।
सीएम और डिप्टी सीएम को भी लिखी चिट्ठी
अब इस घटना के बाद सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद जिनजादे ने इसकी निंदा करते हुए राज्य सरकार से तुरंत कार्रवाई करने की मांग की। जिनजादे ने कहा कि सबसे पहले शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों को एकमत होकर दहेज और अन्य प्रतिगामी प्रथाओं जैसे विधवा संबंधी, बाल श्रम, बाल विवाह, जातीय भेदभाव के खिलाफ प्रस्ताव पारित करें। जिनजादे ने बताया कि महाराष्ट्र में लागू होने के बाद वे इसे लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी पत्र लिखेंग और फिर इसे पूरे देश में लागू कराने की कोशिश करेंगे। जिनजादे ने इन मांगों को लेकर सीएम फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार आदि को भी पत्र लिखे हैं।
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