ख़बर रफ़्तार, देहरादून: मछली पालन में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने जलाशय को ठेके पर देने की अवधि पांच साल से बढ़ा कर 10 साल कर दी है। सरकार का अनुमान है कि इससे तालाबों में मछली उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 65 किलो. तक होने का अनुमान है। तालाबों को ठेके पर देने की प्रक्रिया टेंडर के माध्यम की जाएगी।
उत्तराखंड: अब 10 साल के लिए दिए जाएंगे मछली उत्पादन के लिए तालाब, टेंडर के जरिए ठेके पर दिए जाएंगे
मत्स्य विकास की ओर से मछली उत्पादन के लिए जलाशयों को ठेके पर दिया जाता है। वर्तमान में तालाब को ठेके पर पांच साल के दिया जाता है, लेकिन तालाब में पहले वर्ष में मत्स्य बीज संचय करने में लगता है। जबकि क्षमता के अनुसार मछली उत्पादन प्राप्त करने में लगभग दो वर्ष का समय लगता है।
इसके अतिरिक्त अंतिम वर्षों में ठेका समाप्त होने से ठेकेदार की ओर से जलाशय में उपलब्ध मछली स्टॉक को खाली किया जाता है। जिससे जलाशय की उत्पादकता पर असर पड़ता है। सरकार का अनुमान है कि ठेका अवधि बढ़ाने से राज्य को प्राप्त होने वाले राजस्व में लगभग 50 से 60 प्रतिशत तक वृद्धि होगी। साथ ही वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मत्स्य बीज संचय व मत्स्य आखेट से जलाशय का जल जैविक संतुलन बना रहेगा।