ख़बर रफ़्तार, नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरित जमानत दे दी है. कोर्ट ने उनके केस को बड़ी बेंच के लिए भी भेजा है. जब तक बड़ी बेंच सुनवाई करेगी तब केजरीवाल जमानत पर रहेंगे.
- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर मिली अंतरिम जमानत
- ईडी की गिरफ्तारी संबंधित केजरीवाल की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बड़ी बेंच करेगी सुनवाई. तब तक अंतरिम जमानत
- हालांकि अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे केजरीवाल
जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अतंरिम जमानत तो मिल गई है लेकिन वो अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की, जिसके बाद अंतरिम बेल देते हुए केस को बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर दिया. दिल्ली शराब घोटाला मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है. बीते दिनों केजरीवाल को निचली अदालत ने सीबीआई की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
20 जून को निचली अदालत ने दी थी जमानत, हाईकोर्ट ने लगाई रोक
उन्हें मामले में एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर यहां की एक निचली अदालत ने जमानत दे दी थी. जिसके बाद ईडी ने अगले दिन दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और दलील दी कि केजरीवाल को जमानत देने का ट्रायल कोर्ट का आदेश एक तरफा और अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित था. उच्च न्यायालय ने 21 जून को अंतरिम राहत के लिए ईडी के आवेदन पर आदेश पारित होने तक ट्रायल कोर्ट के जमानत आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. 25 जून को हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. जिसके बाद 26 जून को सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया.
ED की चार्जशीट में आम आदमी पार्टी भी आरोपी
9 जुलाई को ED ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में शराबी नीति केस से जुड़ी 208 पेजों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी. इस चार्जशीट में अरविंद केजरीवाल को मामले का किंगपिन और साजिशकर्ता बताया गया है. चार्जशीट में बताया गया है कि घोटाले से जुड़ा हुआ सारा पैसा आम आदमी पार्टी पर खर्च किया गया है. ईडी ने अपनी चार्जशीट में सीएम केजरीवाल को आरोपी नंबर 27 और आम आदमी पार्टी को आरोपी नंबर 38 बनाया है. ईडी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने सारा पैसा गोवा चुनाव पर खर्चा है. साथ ही आरोप ये भी लगाए गए हैं कि केजरीवाल ने साऊथ ग्रुप के सदस्यों से 100 करोड़ की रिश्वत मांगी थी जिनमें से 45 करोड़ रुपया गोवा चुनाव पर खर्च हुआ.
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