ख़बर रफ़्तार, बरेली: बरेली के फतेहगंज पश्चिमी कस्बा स्थित एक मकान से स्मैक की खेप मिलने से यह साफ हो गया है कि यहां तैयार की जा रही स्मैक की मांग ज्यादा है। उत्तराखंड से दिल्ली, पंजाब व हरियाणा तक इसकी सप्लाई होती है। सूत्र बताते हैं कि क्वालिटी बेहतर होने से नशे के सौदागरों के बीच यहां की स्मैक ज्यादा पसंद की जाती है। पिछले दिनों कैंट थाने का सिपाही भी स्मैक तस्करी के मामले में उत्तराखंड में गिरफ्तार हुआ था।
ट्रेन से हो रही तस्करी, महिलाएं और लड़के ला रहे माल
झारखंड व पूर्वोत्तर के इलाकों में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर होती है। सूत्र बताते हैं कि नक्सल प्रभावित इलाकों में वहां के प्रशासन का किसानों पर ज्यादा नियंत्रण नहीं है तो अफीम सस्ते में स्थानीय तस्करों को मिल जाती है। तस्कर झारखंड से ही महिलाओं और लड़कों के जरिये ट्रेन से कच्चा माल मंगाते हैं। यहां स्मैक तैयार की जाती है। जिले में अलीगंज इलाके में अफीम की खेती होती है। वहां से भी अक्सर तस्करी के मामले सामने आते रहते हैं।
फरीदपुर इलाके में भी खामोशी से चल रहा धंधा
जिले का फरीदपुर व फतेहगंज पूर्वी इलाका भी स्मैक के धंधे के लिए चर्चित है। कुछ साल पहले फतेहगंज पूर्वी में एक प्रधान के यहां से स्मैक का जखीरा बरामद हुआ था। फरीदपुर का एक लाख का इनामी तस्कर तैमूर उर्फ भोला और उसके भाई भी इसी धंधे में लगे थे। तैमूर के जेल जाने के बाद भी परिवार के लोग धंधे को चला रहे हैं।
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