ख़बर रफ़्तार, मलप्पुरम: एक व्यक्ति को अपनी नाबालिग बेटी से सात साल तक बलात्कार करने के लिए 104 साल की सजा सुनाई गई. मंजेरी फास्ट-ट्रैक स्पेशल कोर्ट (2) के जज एस रेस्मी ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि अरीकोड के 41 वर्षीय दोषी को जीवन भर जेल में रहना होगा. उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
पुलिस की ओर से पीड़िता को प्रभावित करने की आशंका जताने के बाद अदालत ने ट्रायल अवधि के दौरान उसे जमानत देने से भी इनकार कर दिया था. जानकारी के मुताबिक, उसे तवनूर सेंट्रल जेल भेज दिया गया है. उस व्यक्ति पर अपनी बेटी (2006 में जन्मी) के साथ दस साल की उम्र से लेकर 17 साल की उम्र तक बलात्कार करने का आरोप है. वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था.
यह अपराध तब सामने आया जब लड़की ने अरीकोड के एक अस्पताल में इलाज कराया. कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उसे गर्भवती पाया गया, जहां उसे रेफर किया गया था. डॉक्टरों के निर्देश पर गर्भपात कराया गया.
आरीकोड पुलिस सर्किल इंस्पेक्टर एम अब्बासली, एसआई एम कबीर और सहायक एसआई के स्वयंप्रभा ने जांच की और आरोप पत्र प्रस्तुत किया. अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक ए एन मनोज उपस्थित हुए, जिन्होंने 24 दस्तावेज प्रस्तुत किए और 22 गवाह पेश किए.
विभिन्न आरोप और संबंधित सजाएं: पोस्को अधिनियम की धाराएं 5(m) (जो कोई बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे पर यौन उत्पीड़न करता है) और 5(n) (बच्चे के ब्लड रिलेशन में हो)- प्रत्येक में 25 वर्ष; धारा 9(m) (जो कोई बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे पर यौन उत्पीड़न करता है) और 9(n) (रक्त के माध्यम से बच्चे का रिश्तेदार होना) – प्रत्येक में 6 वर्ष; धारा 9 (l) (जो कोई एक से अधिक बार या बार-बार बच्चे पर यौन उत्पीड़न करता है) और IPC की धारा 376(3) (जो कोई सोलह वर्ष से कम उम्र की महिला पर बलात्कार करता है) – प्रत्येक में 20 वर्ष. उन्हें आईपीसी और किशोर न्याय अधिनियम के तहत पीड़िता को धमकाने के लिए भी सजा सुनाई गई.
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