Hindu Nav Varsh 2024 का हुआ शुभारंभ, जानिए कैसे स्थापित हुआ विक्रम संवत, अंग्रेजी कैलेंडर से कुछ यूं है अलग

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ख़बर रफ़्तार, अनपरा: भारतीय काल गणना के अनुसार हिन्दू नववर्ष का प्रथम दिन व नव विक्रम संवत 2081 का शुभारंभ 9 अप्रैल से हो गया है। इसे मनाने के लिए ऊर्जांचल में जोर-शोर से तैयारियां की जा रही है। भारतीय संस्कृति में नव वर्ष का शुभारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से माना जाता है, लेकिन पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध व विश्वव्यापी अंग्रेजी कलेंडर की मान्यता के चलते भारतीय नव वर्ष मनाने की परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है।

वैज्ञानिक तथ्यों व पौराणिक ग्रंथों के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के सूर्योदय के साथ ही सृष्टि एवं सतयुग का प्रारंभ होता है। भारतीय इतिहास के महानायक राजा विक्रमादित्य ने इसी पावन तिथि को शकों को परास्त कर भारत माता की विजय पताका फहराई थी तथा उसी को याद में विक्रम संवत स्थापित किया था।

चैत्र मास की नवमी तिथि को ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म दिवस राम नवमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस मास में जब रवि की फसल तैयार होकर लहराने लगती है तो किसान खुशी से झूम उठते हैं। धार्मिक आस्थाओं व ऐतिहासिक तथ्यों से परिपूर्ण होने के कारण यह तिथि भारतीयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बहरहाल आज आवश्यकता इस बात की है कि पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध से निकल कर भारतीय सांस्कृतिक के अनुसार हिन्दू नव वर्ष धूमधाम से मनाया जाए। ताकि आने वाली पीढ़ी भी इसे संजो कर रखे।

श्री विद्या मठ में सनातनी पंचांग का लोकार्पण व सूर्यार्घ्य

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष पर ज्योतिष्पीठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती केदार घाट स्थित श्रीविद्या मठ में प्रात: 5:41 बजे बटुकों व शिष्यों संग सूर्यार्घ्य देकर नववर्ष का स्वागत करेंगे। इसके बाद सनातनी पंचांग का लोकार्पण करेंगे। मीडिया प्रभारी संजय पांडेय ने बताया कि प्रातर्मंगलम् का वार्षिक उत्सव भी मनाया जाएगा।

नवरात्र व्रत का होगा अनुष्ठान

इसमें वेदपाठी बटुक विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। घट स्थापना के साथ नवरात्र व्रत अनुष्ठान आरंभ होगा। इसमें 108 कन्या पूजन, 108 बटुक पूजन व 108 दंपती पूजन आदि होंगे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी का विशेष पूजन करेंगे।

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