ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड में कई गांव ऐसे हैं जहां गर्मियों में पानी की किल्लत पैदा हो जाती है. ऐसे में मानसून सीजन के दौरान होने वाली बारिश, गर्मियों में होने वाली पानी की किल्लत को दूर कर सकती है. मुख्य रूप में बरसात के दौरान चाल- खाल ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए बड़ी भूमिका निभाते हैं. ऐसे में अगर मानसून के दृष्टिगत, चाल-खाल बनाए जाते हैं, तो उसका बड़ा असर पड़ता है. दरअसल उत्तराखंड में सूख चुके तमाम पारंपरिक जल स्रोतों को सरकार पुनर्जीवित करना चाहती है. इसी क्रम में जल संस्थान के माध्यम से प्रदेश में सूख चुके हैंडपंप और ट्यूबवेल को पुनर्जीवित करने जा रही है, ताकि आसपास के लोगों को खासकर गर्मियों के दौरान साफ पानी उपलब्ध हो सके.
सूख गए हैंडपंप और ट्यूबवेल
देश के तमाम राज्यों में पीने योग्य पानी की किल्लत देखने को मिलती है. खासकर गर्मियों के दौरान तमाम क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति नहीं हो पाती है. ऐसी ही कुछ दिक्कत उत्तराखंड राज्य के भी कई क्षेत्रों में देखने को मिलती है. हालांकि उत्तराखंड राज्य में ही गंगा और यमुना के उद्गम स्थल हैं. इसके बावजूद राज्य के लोग पेयजल की किल्लत झेलते हैं. मौजूदा स्थिति यह है कि प्रदेश के तमाम हैंडपंप और ट्यूबवेल सूख चुके हैं. इसके चलते ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि अब जल संस्थान मानसून सीजन के दौरान होने वाली बारिश का फायदा उठाकर, सूख चुके हैंडपंप और ट्यूबवेल को पुनर्जीवित करने पर जोर दे रहा है.
हैंडपंप और ट्यूबवेल होंगे रिचार्ज
जल संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश भर में करीब 10,094 हैंडपंप हैं. इसमें से 311 हैंडपंप का पानी पूरी तरह से सूख गया है. तमाम हैंडपंप का पानी सूखने की कगार पर है. ऐसे में जल संस्थान ने पहले चरण में 224 हैंडपंप को रिचार्ज करने का निर्णय लिया है. इसके लिए बजट भी जारी कर दिया गया है. इसी क्रम में जल संस्थान ने प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में मौजूद ऐसे ट्यूबवेल जो सुख चुके हैं, उनको भी रिचार्ज करने का निर्णय लिया है. इसके तहत प्रदेश के 62 नलकूपों को रिचार्ज किया जाएगा. इसके अलावा जल संस्थान ने प्रदेश की 22 शाखाओं में 10-10 चाल-खाल बनाने का निर्णय लिया है, जो ग्राउंड वाटर रिचार्ज में काफी कारगर साबित होंगे.
जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग ने कहा कि प्रदेश में पूरी तरह से सूख चुके 224 हैंडपंप को रिचार्ज करने का काम किया जा रहा है. सितंबर महीने के अंत तक इन सभी हैंडपंप को रिचार्ज कर दिया जाएगा. हैंडपंप को रिचार्ज करने के लिए आसपास के घरों से पानी लेकर हैंडपंप को रिचार्ज किया जाएगा. इसके साथ ही प्रदेश भर में 62 ट्यूबवेल पूरी तरह से सूख चुके हैं, जिनको रिचार्ज करने के लिए बोरिंग की जा रही है. जिससे अंडर ग्राउंड वाटर रिचार्ज होगा.
चाल खाल से इकट्ठा होगा पानी
इसके साथ ही प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में चाल-खाल बनाने का कार्य जारी है, जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा. चाल-खाल ऐसी जगहों पर बनाए जाएंगे, जहां पर नेचुरल जल स्रोत मौजूद हैं, ताकि इनमें पानी मौजूद रहे. चाल-खाल का फायदा यह होगा कि इसमें बरसाती पानी एकत्र होगा, जिससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज होने के साथ ही जानवरों को पानी पीने की सुविधा भी उपलब्ध हो सकेगी.
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