डॉ अग्रवाल ने बताया एक झटके में चारधाम में 3000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने का नुकसान, हाई एनर्जी के लिए खाएं ये फूड

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ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा के लिए पूरे देश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैंं. चारधाम यात्रा के दौरान अब तक 52 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. विशेषकर बुजुर्गों में हार्टअटैक के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के विशेषज्ञ डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि उनके द्वारा 2 साल पूर्व किए गए निरीक्षण में पाया गया कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य प्रदेशों से आने वाले यात्री उसी दिन 4 से 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित चारधाम लोकेशन पर पहुंच जाते हैं. जिससे ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है और सांस की परेशानी और हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है.

गर्म कपड़े जरूर लेकर चलें यात्री

डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि कई श्रद्धालु अपने साथ गर्म कपड़े लेकर नहीं चलते हैं. कई यात्री यह नहीं जानते हैं कि चारधाम में ठंडा मौसम रहता है, इसलिए अपने साथ गर्म वस्त्र लेकर जरूर चलें. यात्रा के दौरान हाई एनर्जी फूड के रूप में ड्राई फ्रूट्स और चॉकलेट का सेवन जरूर करें. उन्होंने कहा कि कई बार समय पर भोजन नहीं मिलने पर यात्री को शुगर बढ़ने की शिकायत हो सकती है, जिससे उसे चक्कर भी आ सकते हैं.

डॉक्टरों से परामर्श जरूर लें यात्री

विशेषज्ञ अनुराग अग्रवाल ने बताया कि जिन लोगों को पहले से ही फेफड़ों की बीमारी और हार्ट से संबंधित दिक्कतें हैं, उन्हें ऑक्सीजन का दबाव कम होने की वजह से लेथार्जी, थकान और सांस फूलने जैसी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं. इसके अलावा यात्रा में आने से पूर्व अपने आसपास के डॉक्टरों से परामर्श जरूर लें और उत्तराखंड आकर भी स्क्रीनिंग के दौरान यात्री डॉक्टर से अपनी पुरानी बीमारियों को ना छिपाएं. उन्होंने कहा कि सांस की दिक्कत वाले यात्री अपने साथ इनहेलर जरूर रखें, क्योंकि हाई एल्टीट्यूड में पहुंचने पर इनहेलर सांस के मरीजों के लिए फायदेमंद होगा.

हेलीकॉप्टर से यात्रा करने वाले यात्री भी रहें सजग

उत्तराखंड चारधाम यात्रा में आने वाले कई श्रद्धालु हेलीकॉप्टर से भी दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे में उनको भी अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए, क्योंकि हेलीकॉप्टर से जल्द दर्शन करने की चाहत में कई यात्री गर्म वातावरण से बहुत ठंडे वातावरण में पहुंच रहे हैं, जहां पहले से ही ऑक्सीजन की कमी होती है. ऐसे यात्रियों के लिए भी वही हेल्थ फैक्टर काम करते हैं, जो श्रद्धालु सड़क मार्ग से ऊंचाई वाले चारधाम पर पहुंचे हैं.

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