साइबर ठगों ने दवा कारोबारी को ई-सिम एक्टिवेट कर ठगा, दो खातों से उड़ाए 25 लाख रुपये

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ख़बर रफ़्तार, आगरा: अगर आप भी ई-सिम का इस्तेमाल करते हैं तो और अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। साइबर ठगी का शिकार आगरा के दवा व्यापारी हुआ है। ठगों ने उनके दो बैंक खातों से 25 लाख पांच हजार रुपये निकाल लिए हैं। साइबर सेल मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई कर रही है।

ताजगंज के शंकर ग्रींस कॉलोनी निवासी हिमांशु गुप्ता पिता संजय के साथ कोतवाली क्षेत्र में संजय फॉर्मा नामक दवा की फर्म संचालित करते हैं। बैंकिंग का सारा काम वो ही देखते हैं। हिमांशु ने बताया कि 13 जुलाई की शाम सात बजे अचानक उनके आईफोन मोबाइल के नेटवर्क टावर आना बंद हो गए।

14 जुलाई को रविवार होने के कारण 15 जुलाई को उन्होंने नई सिम इश्यू करवाई। 16 जुलाई को उनके मोबाइल पर बैंक के संदेश आए तो जानकारी हुई कि उनके साथ साइबर ठगी हो गई है।

ठगों ने की ऑनलाइन खरीदारी

ठगों ने उनके बंधन बैंक और एक्सिस बैंक के खातों से कई कंपनियों से ऑनलाइन खरीदारी की और कई खातों में रकम ट्रांसफर करवाई गई है। खाते से 25 लाख पांच हजार से अधिक रुपये निकाल लिए गए हैं। उन्होंने साइबर सेल पुलिस को शिकायत की है। पुलिस एनसीआर दर्ज कर रकम को होल्ड करवाने का प्रयास कर रही है। आरोपित की तलाश के प्रयास किए जा रहे हैं।

ई-सिम एक्टिवेट कर ठगा

हिमाशु ने बताया कि जानकारी करने पर एयरटेल के उपभोक्ता सहायता नंबर पर जानकारी मिली कि 13 जुलाई को कंपनी के ऐप के माध्यम से उनके नंबर की ई-सिम एक्टिवेट की गई थी। इसी कारण उनकी सिम बंद हो गई थी। शातिर दो दिन तक उनके खातों से रकम निकालते रहे पर जानकारी नहीं हुई।

ऐसे होता है ई-सिम का इस्तेमाल, साइबर एक्सपर्ट ने दी जानकारी

साइबर एक्सपर्ट अभिषेक गुप्ता ने बताया…

  • ई-सिम साफ्टवेयर की तरह इस्तेमाल होती है।
  • ई-सिम शुरू करने के बाद मोबाइल में सिर्फ एपलिकेशन डाउनलोड करनी होती है और सारा डाटा, कॉल करने और रिसीव करने के साथ संदेश और उस सिम से पूर्व में इस्तेमाल की जा रही सभी मोबाइल ऐप की जानकारी कर उन्हें चलाया जा सकता है।
  • हैकर बहाने से फोन हैक कर कांटेक्ट को हैक करते हैं। बहाने से क्यूआर कोड लेकर ई-सिम एक्टिवेट कर लेते हैं। इसके बाद बैंक की ऐप से ऑनलाइन बैंकिंग के माध्यम से खाते खाली कर देते हैं।

साइबर एक्सपर्ट अभिषेक गुप्ता का कहना है कि ई-सिम का इस्तेमाल चुनिंदा मोबाइल जैसे आई फोन आदि में ही होता है। इसमें कंपनी के ऐप के माध्यम से व्यक्ति अपनी ई-सिम बना लेते है। यह एक तरह सॉफ्टवेयर की तरह इस्तेमाल होती है।

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