राष्ट्रपति भवन में ‘कोबरा’ कमांडो अर्द्धसैनिक बल ‘शौर्य चक्र’ वीरता पदक से सम्मानित

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खबर रफ़्तार, नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के गढ़ के भीतर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक नया अड्डा स्थापित करते समय माओवादियों की गोली का शिकार हुआ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक ‘कोबरा’ कमांडो अर्द्धसैनिक बल के उन सात कर्मियों में शामिल हैं जिन्हें ‘शौर्य चक्र’ वीरता पदक से सम्मानित किया गया है।

माओवादियों की गोली का शिकार होने से पहले कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट ऐक्शन (कोबरा) के कमांडो ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। ‘201 कोबरा बटालियन’ के कांस्टेबल पवन कुमार और उनके साथी कांस्टेबल देवन सी. को बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह के दौरान मरणोपरांत सैन्य पदक से सम्मानित किया गया। देश के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक बल को वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) क्षेत्र में किए गए दो अभियानों के लिए बहादुरी के अलंकरण प्रदान किए गए। इनमें से एक अभियान में पांच कर्मी और अन्य में दो कर्मी मारे गए थे।

‘न्यूज़ एजेंसी’ को प्राप्त उनके प्रशस्ति पत्र के अनुसार, कुमार को ‘एक माओवादी ‘स्नाइपर’ ने गोली मारी थी।’ उनकी कमांडो इकाई, 150वीं सीआरपीएफ बटालियन के सैनिकों के साथ 30 जनवरी, 2024 को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के ‘‘गढ़’’ माने जाने वाले सुकमा जिले के टेकलगुडियम में एक अग्रिम परिचालन बेस (एफओबी) स्थापित कर रही थी। नक्सलियों के एक दल ने सैनिकों को निशाना बनाकर ‘भारी’ गोलीबारी की और सीआरपीएफ के अड्डे की ओर मल्टीपल बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल) से गोले दागे जो एक देसी मिसाइल है।

कुमार और देवन सी ‘अपनी जान को जोखिम में डालते हुए आगे बढ़ रहे नक्सलियों से भिड़ गए’ और इस कार्रवाई में मारे गए। दोनों जवानों को उनकी ‘‘बहादुरी, अदम्य साहस और वीरतापूर्ण कार्य’’ के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। उनके परिवारों ने राष्ट्रपति से पदक प्राप्त किए। कोबरा यूनिट के डिप्टी कमांडेंट लखवीर, असिस्टेंट कमांडेंट राजेश पंचाल और कांस्टेबल मलकीत सिंह को भी अदम्य साहस दिखाने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। लखवीर एक विस्फोट में घायल हो गए थे जबकि पंचाल के दाहिने हाथ में गोली लगी थी।

प्रशस्ति पत्र में कहा गया है, ‘मलकीत सिंह ने भारी गोलीबारी के बीच अपनी जान की परवाह न करते हुए पवन कुमार का शव बरामद किया। सीने में जख्म के बावजूद वह लड़ते रहे और कई नक्सलियों को मार गिराया’ तीन अप्रैल, 2023 को झारखंड के चतरा जिले में हुए एक अन्य अभियान में शामिल सीआरपीएफ के कर्मियों को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। इस अभियान में 203 कोबरा बटालियन के डिप्टी कमांडेंट विक्रांत कुमार और इंस्पेक्टर जेफरी हमिंगचुल्लो ने ‘साहसिक’ प्रदर्शन किया था।

लगभग 50 मिनट तक चली मुठभेड़ में पांच ‘‘शीर्ष’’ माओवादियों को मार गिराया गया और कुछ उच्च क्षमता वाले हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया। कमांडो बटालियन फॉर रेजोल्यूट ऐक्शन (कोबरा) सीआरपीएफ की विशेष जंगल युद्ध इकाई है जिसे 2008 में स्थापित किया गया था। शौर्य चक्र शांति काल में दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा रक्षा वीरता पदक है।

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