मुस्कान-सोनम जैसी घटनाओं के बाद गुण-दोष देखने का बढ़ा ट्रेंड, 25 से ज्यादा गुण मिलने पर ही शादी

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खबर रफ़्तार, मेरठ : मुस्कान-सोनम जैसी घटनाओं के बाद शादी से पहले गुण दोष मिलान का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। अब परिवार 25 से अधिक गुण मिलने पर ही शादी को मंजूरी दे रहे हैं। कुंडली मिलान को लेकर युवाओं में भी जागरूकता आई है।

नीले ड्रम के साथ चर्चा में आए मेरठ के मुस्कान कांड और इंदौर के राजा रघुवंशी और सोनम जैसे मामलों के बाद से शादी को लेकर युवाओं का ट्रेंड काफी बदला है।

अब युवक और युवती के साथ ही उनके परिवार वाले गुण और दोष को लेकर अधिक चिंतित हैं। ज्योषिचार्यों के मुताबिक अब कुंडली में अधिक गुण मिलान के लिए अधिक मामले सामने आने लगे हैं। यहां तक हो रहा है कि यदि 36 में से 25 से ज्यादा गुण मिल रहे हैं तो ही शादी पर सहमति जताई जा रही है।

चार माह बाद ही देवोत्थान एकादशी से विवाह सहित अन्य मांगलिक आयोजन शुरू होंगे। शादी से पहले कुंडली दिखाने से लेकर अन्य तैयारियां पहले ही की जा रही हैं। मंडप बुकिंग जून के आरंभ से शुरू हो गई।
रोजाना पांच से सात कुंडली मिलान के लिए आ रही
इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स ने बताया कि रोजाना पांच से सात कुंडली मिलान के लिए आ रही हंै। पहले यजमान कुंडली न मिलने पर यह प्रयास करते थे कि कोई दूसरा उपाय करा दिया जाए, जिससे विवाह सकुशल हो जाए, लेकिन अब कुंडली में 25 से 36 के बीच गुण मिलते हैं तो ही विवाह हो रहे हैं। 25 से कम गुण मिलते हैं तो रिश्ते की बात को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। आईटी कंपनी में एक साथ काम करने वाले युवा भी कुंडली को लेकर बहुत जागरूक हो गए हैं।
कई ज्योतिषाचार्यों को कुंडली दिखाई जा रही हैं। इसके बाद ही विवाह के लिए अंतिम निर्णय लिए जा रहे हैं। शहर में हाल ही 18 मामले सामने आए हैं जहां लोगों ने कुंडली न मिलने मिलने पर विवाह की बातचीत को आगे नहीं बढ़ाया। ज्योतिषाचार्य विनोद त्यागी ने बताया कि कुंडली मिलान में ग्रह, गुण का बहुत बड़ा महत्व है।
केस एक
शास्त्रीनगर निवासी आईटी कंपनी में कार्यरत लड़की और शहादरा निवासी उसी की कंपनी में कार्यरत युवक विवाह करना चाहते थे। परिवार भी बहुत हद तक तैयार हो गए। कुंडली मिलान न होने के कारण लड़की पक्ष ने विवाह से इन्कार कर दिया। लड़की का विवाह गाजियाबाद निवासी युवक के साथ हुआ है।

केस दो
मेरठ निवासी एक लड़की का विवाह गाजियाबाद निवासी युवक के साथ हुआ। लड़की का शुक्र मजबूत था। आचार्य कौशल ने बताया कि उसके पंचम भाव में मंगल के साथ युति थी। कुंडली में इस दोष के कारण वह अपने पड़ोस में रह रहे युवक के संपर्क में आ गई। महिला का पति से तलाक हो गया।

सप्तम भाव नहीं होना चाहिए कोई क्रूर ग्रह
आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि कुंडली मिलान के समय सर्वाधिक महत्वपूर्ण है कि सप्तम भाव में काई क्रूर ग्रह न हो। इसमें राहू, केतु, शनि न तो उपस्थित हो और न ही उसकी दृष्टि हो। सप्तम भाव खाली भी नहीं होना चाहिए। सप्तम भाव में किसी शुभ ग्रह का विराजमान होना बहुत अधिक आवश्यक है। या सप्तम भाव में उस ग्रह की दृष्टि होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कुंडली में अगर राहु खराब है तो पुरुष शराब पीता है और अनावश्यक धन व्यय करता है।
प्राचीन परंपराएं स्वीकार कर रहा समाज
कुछ प्राचीन परंपराओं भी समाज स्वीकार कर रहा है। पहले लड़की के लिए गौरी पूजा, सोलह सोमवार व्रत सहित अन्य विधान का बहुत बड़ा महत्व होता रहा है। अब फिर से ऐसे विधान कराए जाने लगे हैं।ज्योतिषाचार्य प्रवीण ने बताया चातुर्मास में विवाह नहीं किए जा रहे हैं। रात्रि में फेरों के स्थान पर दिन में फेरे होने लगे हैं, इसे सन डाउन वेडिंग का नाम दिया गया है। इसके अतिरिक्त चाक पूजन आदि सभी परंपरा निभाई जा रही हैं।

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