ख़बर रफ़्तार, लखनऊ: इंदिरानगर के इस्माइलगंज में बुधवार सुबह चाचा की लाइसेंसी पिस्टल से 18 वर्षीय छात्र प्रत्यूष सिंह ने खुद को गोली मारकर जान दे दी। वह कई माह से मानसिक रूप से अस्वस्थ था। उसका इलाज भी चल रहा था।
प्रत्यूष मूल रूप से गाजीपुर जनपद के विश्वेश्वरगंज में रामजानकी मंदिर के पास के रहने वाले थे। पिता शैलेंद्र सिंह व्यवसायी हैं। यहां इस्माइलगंज में चाचा सत्येंद्र सिंह के यहां एक माह से रहकर इलाज करा रहा था। सत्येंद्र ने बताया कि भतीजा दो साल पहले इंटर में फेल हो गया था। उसके बाद से डिप्रेशन में था और नशे का आदी भी हो गया था।
खून से लथपथ हालत में कमरे में पड़ा प्रत्यूष
हालत में कुछ सुधार होने पर वह एक साल पहले अपने बड़े भाई उदित राज सिंह के साथ देहरादून में रहा। वहां रहकर वह पढ़ाई कर रहा था। एक माह पहले उसकी हालत तबीयत फिर बिगड़ गई। इसके बाद उसे यहां ले आए। मनोचिकित्सक से उसका इलाज चल रहा था। मंगलवार रात सभी लोग सो रहे थे। पिस्टल तकिए के नीचे रखी थी। पता नहीं किस समय प्रत्यूष कमरे में आया उसने पिस्टल निकाल ली और अपने कमरे में जाकर गोली मार ली। सुबह सात बजे आंख खुली तो देखा कि प्रत्यूष खून से लथपथ हालत में कमरे में पड़ा था। अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस कर रही मामले की जांच
कूलर और फर्राटा पंखा चल रहा था। इसके कारण गोली चलने की आवाज भी सुनाई नहीं दी। एसीपी गाजीपुर सर्किल विकास जायसवाल के मुताबिक सत्येंद्र यहां ठेकेदारी करते हैं। उन्हीं के साथ में प्रत्यूष रह रहा था। उसने गोली मार कर जान दी है। अन्य बिंदुओं की जांच की जा रही है। सत्येंद्र को पिस्टल अलमारी में लॉक करके रखनी चाहिए। उनकी भी लापरवाही प्रकाश में आयी है। पिस्टल के शस्त्र निरस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही है।