ख़बर रफ़्तार, उत्तरकाशी: मोरी के आराकोट बंगाण क्षेत्र के ग्राम पंचायत थली और सरास भुटोत्रा-ओगमेर-बिजोती तीन गांवों की आवाजाही के लिए टोंस नदी पर बना खुनीगाड़ झूला पुल जर्जर हालत में है. ग्रामीण जान जोखिम में डालकर पुल से आवाजाही करने को मजबूर हैं. पुल की स्थिति को देखते हुए कभी भी बड़ा हादसा घटित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.
बता दें कि मोरी-त्यूणी मोटर मार्ग पर खुनीगाड़ के पास ग्राम पंचायत थली के भुटोत्रा-ओगमेर व बिजोति तीन गांवों की आवाजाही को टौंस नदी पर करीब 6 दशक पहले 32 मीटर स्पान झूला बनाया गया. जिससे 3 गांवों के ग्रामीणों का आना-जाना व खच्चरों से सामान और राशन गांव पहुंचाया जाता है, लेकिन वर्तमान हालात में पुल जर्जर बना हुआ है.
लोग खुद ही तख्ते बिछा कर जान जोखिम में डालकर आवाजाही और खच्चरों से सामान ढोने को मजबूर हैं. क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता मनमोहन चौहान ने बताया कि खूनीगाड़ झूला पुल से भुटोत्रा-ओगमेर, बिजोती तीन गांवों की आवाजाही और खच्चरों से रोजमर्रा का सामना ले जाने का मुख्य पैदल पुल मार्ग है. जिसकी हालत अब खस्ताहल है व पुल से आते जाते समय कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
तहसील के माध्यम से भी कार्यदायी संस्था लोनिवि और सीएम को भी ज्ञापन भेजा गया है. दूसरी ओर लोनिवि के सहायक अभियंता सुमित शर्मा का कहना है कि टौंस नदी पर बने खुनीगाड़ पैदल झूला पुल की जर्जर स्थिति के मरम्मत कार्य की डीपीआर साल 2020 को शासन को भेजी गई. आपदा न्यूनीकरण अंतर्गत भी पुल मरम्मत को बजट के लिए जिलाधिकारी को भी पत्र लिखा गया है. बजट मिलते ही जर्जर पुल का मरम्मत कार्य करा दिया जाएगा.
राजशाही के समय बंगाण क्षेत्र के दर्जनों गांवों को जोड़ने वाले 122 साल पहले टोंस नदी पर बने सांद्रा झूला पुल भी तकरीबन खस्ताहाल हालत में है. सांद्रा झूला पुल से भी सल्ला, मोताड़ सांद्रा, पीतडी, सरास, बागी और देई 7 गांव की पैदल आवाजाही है. हालांकि, साल 2012 में टोंस वन प्रभाग ने झूला पूल के तखते बदल कर मरम्मत कार्य तो किया, लेकिन पुल की तारों पर अब जंग लग गया है.
जिससे पुल जर्जर हालत में है. हालांकि वन प्रभाग के अधिकारियों ने पुल की जर्जर हालत के चलते पूर्व में एक दो बार ग्रामीणों की आवाजाही रोकने की कोशिश की, लेकिन पैदल आवाजाही का एकमात्र रास्ता होने से विभाग भी रोकने में असर्मथ है.
क्या कहते हैं अधिकारी?
उत्तरकाशी डीएफओ डीपी बलूनी ने कहा कि सांद्रा पैदल झूला पुल सौ साल से भी ज्यादा पुराना है. कई बार पुल के तख्ते बदल कर मरम्मत कार्य भी किया गया है. पुल के तारों में जंग और जर्जर हालत हो गई है. शासन को रिपोर्ट भेजी गई है. पूर्व में आवाजाही भी रोकी गई. ग्रामीणों के पैदल आने जाने का एकमात्र रास्ता भी है. आने वाले दिनों दिनों में पुल की जर्जर स्थिति को देखते आवाजाही बंद करवानी पड़ेगी.