लश्कर-ए-तैयबा: टीआरएफ का प्रमुख शेख सज्जाद गुल पहलगाम आतंकी हमले का है सरगना |

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खबर रफ़्तार, नई दिल्ली: लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के छद्म संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) का प्रमुख 50 वर्षीय कश्मीरी शेख सज्जाद गुल पहलगाम आतंकी हमले का सरगना है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।

अधिकारियों ने कहा कि एलईटी के संरक्षण में पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में छिपे हुए गुल को सज्जाद अहमद शेख के नाम से भी जाना जाता है और वह कई आतंकी हमलों का सूत्रधार रहा है, जिसमें 2020 से 2024 के बीच मध्य व दक्षिण कश्मीर में निशाना बनाकर की गईं हत्याएं, 2023 में मध्य कश्मीर में हुए ग्रेनेड हमले, अनंतनाग के बिजबेहरा में जम्मू-कश्मीर पुलिस कर्मियों पर घात लगाकर हमला, गगनगीर, गंदेरबल में जेड-मोड़ सुरंग पर हुआ हमला शामिल है।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अप्रैल 2022 में उसे आतंकवादी घोषित किया था और उसपर 10 लाख रुपये का ईनाम रखा था। अधिकारी ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए घातक हमले की जांच के दौरान गुल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली। टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली थी।अधिकारियों ने बताया कि गुल के निर्देश पर आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में 25 पर्यटकों से उनका धर्म पूछने के बाद उन्हें नजदीक से गोली मार दी थी।

आतंकवादियों ने एक स्थानीय पर्यटक गाइड की भी हत्या कर दी थी। अधिकारियों ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने से पहले शेख ने श्रीनगर में पढ़ाई की और बैंगलोर से एमबीए किया, बाद में केरल में लैब टेक्नीशियन का कोर्स किया। अधिकारियों के अनुसार वह घाटी लौट आया, जहां उसने एक डायग्नोस्टिक लैब खोली और आतंकी समूह की मदद करनी शुरू कर दी।

अधिकारियों के अनुसार आतंकी समूह के ‘ओवरग्राउंड वर्कर’ (ओजीडब्ल्यू) के रूप में काम करने के दौरान, गुल को 2002 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से पांच किलोग्राम आरडीएक्स के साथ पकड़ लिया था। उन्होंने कहा कि यह पता चला कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सिलसिलेवार विस्फोट करने की साजिश रच रहा था, जिसके लिए उसे 7 अगस्त, 2003 को 10 साल की सजा सुनाई गई थी।

अधिकारियों ने बताया कि साल 2017 में जेल से रिहा होने के बाद वह पाकिस्तान चला गया, जहां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 2019 में उसे कश्मीर में टीआरएफ का नेतृत्व करने के लिए चुना। उन्होंने कहा कि टीआरएफ बनाना फरवरी 2019 में पुलवामा की घटना के बाद आईएसआई की एक रणनीति थी। अधिकारियों ने कहा कि गुल का भाई श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में पूर्व चिकित्सक था और 1990 के दशक में आतंकवादी था। उन्होंने कहा कि वह सऊदी अरब और बाद में पाकिस्तान चला गया।

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