राज्यपाल ने मधु वाटिका का किया लोकार्पण, प्रदेश में उत्पादन को 60 हजार मीट्रिक टन ले जाने का बताया लक्ष्य

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खबर रफ़्तार, पंतनगर: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने शुक्रवार को पंतनगर स्थित प्रसिद्धए गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि वं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में मधु वाटिका, गौरा देवी प्रशिक्षण केंद्र एवं देवकीनंदन अग्रवाल ऑफ बाजपुर छात्र मनोरंजन केंद्र का लोकार्पण किया। उन्होंने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि प्रसन्नता का विषय है कि इस विश्वविद्यालय ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर क्यू0एस0 वर्ड रैंकिंग में उच्च स्थान प्राप्त किया है। पिछले वर्ष यह स्थान 311वां था जो कि इस वर्ष उछाल लेकर 200 से 250 के मध्य है, इसके लिए मैं (राज्यपाल) कुलपति सहित समस्त विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूं।

राज्यपाल ने कहा कि हरित क्रांति की जन्मस्थली यह विश्वविद्यालय अब श्वेत क्रांति के अलावा सेमीकंडक्टर क्रांति का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। विश्वविद्यालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार की चिप टू स्टाटर्अप योजना के तहत 10 करोड़ रुपए के विश्वस्तरीय इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन उपकरण हासिल किए, जिससे कुशल डिजाइनर, पेशेवर छात्र एवं संसाधन विकसित किए जा सकेंगे। महामहिम राज्यपाल सिंह ने कहा कि गौरा देवी प्रशिक्षण केन्द्र, मधुवाटिका एवं देवकी नन्दन अग्रवाल ऑफ बाजपुर छात्र मनोरंजन केंद्र का उद्घाटन विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मैं(राज्यपाल) इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए पूरे संस्थान को हार्दिक बधाई देता हूं।

महामहिम ने कहा कि उत्तराखंड की जलवायु और वनस्पतियों की अनुकूलता मधुमक्खी पालन के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती है। मधुमक्खियां परागण (पॉलिनेशन) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिससे फसलों की उपज और गुणवत्ता में वृद्धि होती है। शहद उत्पादन से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का शहद, जो अपनी प्राकृतिक शुद्धता और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है, राष्ट्रीय और अंतररष्ट्रीय बाजारों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकता है। सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। किसानों को प्रशिक्षण, अनुदान और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है ताकि वे इसे अपने व्यवसाय के रूप में अपनाकर आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।

वहीं, आगे उन्होंने जी.बी. पंत विश्वविद्यालय द्वारा उत्तराखंड में अर्धसैनिक बलों को मधुमक्खी पालन के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में प्रशिक्षण देने की पहल कि सराहना की। एनडीआरएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी और सीआईएसएफ के 149 सशस्त्र अधिकारियों ने मधुमक्खी पालन कौशल प्राप्त किया। अर्धसैनिक बल अब दूरस्थ और सीमावर्ती क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग कर मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दें। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि ग्रामीण रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

इसके इलावा कहा कि प्रदेश में अभी 30 हजार मीट्रिक टन मधु उत्पादन होता है, जिसे बढ़ाकर 60 हजार मीट्रिक टन ले जाने का प्रयास किया जाएगा। कार्यक्रम में कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान व डॉ शाम सिंह गोयल ने भी अपने विचार रखें।

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