
खबर रफ़्तार, देहरादून: राजाजी टाइगर रिजर्व के काॅरिडोर में वन्यजीवों के हलचल को लेकर अध्ययन शुरू हुआ है।इसमें डब्ल्यूडब्ल्यूएफ सहयोग कर रहा है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने के साथ वन्यजीवों की सुरक्षा बेहतर करने के लिए वन विभाग ने गश्त के तरीकों में बदलाव करने का फैसला किया है। अब वन्यजीवों की हलचल, उनके समय के हिसाब से वन कर्मी गश्त पर फोकस करेंगे। जानकारी जुटाने के लिए राजाजी टाइगर रिजर्व के काॅरिडोर में अध्ययन शुरू किया गया है।
राजाजी टाइगर रिजर्व में तीनपानी, आशा रोड़ी- मोहान, चीला- मोतीचूर काॅरिडोर हैं, यह काॅरिडोर एक जंगल से दूसरे जंगल को जोड़ते हैं। निदेशक कोको रोसो कहते हैं कि इन काॅरिडोर में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सहयोग से कैमरा ट्रैप के माध्यम से अध्ययन कराने का फैसला किया गया है। इस अध्ययन के माध्यम से यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि कौन सा वन्यजीव, किस समय मूवमेंट करता है, किस क्षेत्र में करता है।
सीटीआर में एआई कैमरों का हो रहा इस्तेमाल
कार्बेट टाइगर रिजर्व में एआई कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे वन्यजीव अगर जंगल क्षेत्र से निकल कर आबादी की तरफ रुख करें तो पता चल सके। कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला कहते हैं कि एआई कैमरों से फायदा हुआ है। आगे इनकी संख्या बढ़ाने में कई पहलू हैं, इसमें पहला हाथियों से होने वाले नुकसान से बचाना है। तड़ोबा- अंधारी टाइगर रिजर्व में इसका इस्तेमाल हुआ है, लेकिन वहां पर हाथी नहीं थे। सभी पहलुओं पर विचार कर आगे संख्या बढ़ाने पर कदम उठाया जाएगा।
+ There are no comments
Add yours