यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड में मौसी-बहन सहित र‍िश्‍तेदारी की इन मह‍िलाओं को नहीं बना सकेंगे बीवी, समझें पूरा कानून

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ख़बर रफ़्तार, नैनीताल:  उत्तराखंड में धामी सरकार के समान नागरिक संहिता विधेयक को पारित करने के बाद अब कानून के प्रावधानों के लागू होने की उलटी गिनती शुरू हो गई है। इस कानून के लागू होने के बाद सभी धर्मों के नागरिकों की शादी विवाह एक कानून के दायरे में आ जाएंगे।

समान नागरिक संहिता अधिनियम में साफ उल्लेख किया गया है कि किन रिश्तों में विवाह पर प्रतिबंध रहेगा। विधेयक के शेड्यूल-6 में सूची का उल्लेख किया गया है, जिसमें बताया गया है कि यूसीसी लागू होने के बाद पुरुष किन महिलाओं और महिला किन पुरुषों से विवाह नहीं कर सकेंगी।
हाई कोर्ट के वकील ने कही ये बात

नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता के अनुसार यूसीसी में शादी किन रिश्तों के साथ निषेध है, उसका साफ उल्लेख है। साफ किया कि हिंदू विवाह अधिनियम में यह बंदिश पहले से लागू है, अब अल्पसंख्यक आबादी पर भी यह समान रूप से लागू होगा। उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधान यदि किसी समुदाय या धर्म को प्रभावित करते हैं तो वह इसे अदालत में चुनौती दे सकते हैं।

इन महिलाओं से शादी नहीं कर सकेंगे पुरुष

बहन, भांजी, भतीजी, मौसी, बुआ, चचेरी बहन, फुफेरी बहन, मौसेरी बहन, मां, सौतेली मां, नानी, सौतेली नानी, परनानी, सौतेली परनानी, माता की दादी, दादी, सौतेली दादी, पिता की परनानी, पिता की सौतेली नानी, परदादी, सौतेली परदादी, बेटी, विधवा बहू, नातिन, पोती, पोते की विधवा बहू, परनातिन, परनाती की विधवा, बेटी के पोते की विधवा, बेटी की नातिन, परपोती, परपोते की विधवा, बेटे की नातिन, नाती की विधवा।

महिला के इन रिश्ते के पुरुषों से विवाह पर लगेगी रोक

भाई, भांजा, भतीजा, चाचा-ताऊ, चचेरा भाई, फुफेरा भाई, मौसेरा भाई, ममेरा भाई, नातिन का दामाद, पिता, सौतेला पिता, दादा, परदादा, सौतेला परदादा, परनाना या पिता का नाना, सौतेला परनाना, नाना, सौतेला नाना, मां का सौतेला परनाना, बेटा, दामाद, पोता, बेटे का दामाद, नाती, बेटी का दामाद, परपोता, पोते का दामाद, बेटे का नाती, पोती का दामाद, बेटी का पोता, नाती का दामाद, नाती का दामाद, नातिन का बेटा, माता का नाना आदि।

लिव इन रिलेशनशिप पर होगी सख्ती

यूसीसी लागू होने के बाद लिव इन रिलेशनशिप में सख्ती होगी। इसके तहत लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल को रजिस्ट्रार को जानकारी देनी होगी, लिव इन में पैदा हुए बच्चे को वैध माना जाएगा। एक माह से अधिक समय से लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल ने यदि रजिस्ट्रार को सूचित नहीं किया है तो तीन माह की सजा या दस हजार तक का जुर्माना हो सकता है। विवाह के समय वन की जीवित पत्नी ना हो और ना वधू का जीवित पति हो।

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