
खबर रफ़्तार, बरेली: शहरवासियों के लिए कभी लाइफलाइन कही जाने वाली किला नदी संकट में है। प्रशासनिक अनदेखी की वजह से इसका अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है। किला नदी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई। जो कुछ कसर बची वह कूड़ा और पॉलीथिन ने पूरी कर दी। जिलाधिकारी के शनिवार के निरीक्षण के बाद अमृत विचार की टीम ने रविवार को नदी की स्थिति की पड़ताल की तो कई स्थानों पर पक्के और कच्चे कब्जे और कूड़ा-करकट से पटी मिली। जलकुंभी ने नदी का अस्तित्व ही बिगाड़ दिया।
किला नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जिला प्रशासन ने तीन साल पहले नदी की भूमि पर अतिक्रमण चिह्नित कराया था। तहसील सदर की सात सदस्यीय टीम ने 2022 में 14 अक्टूबर से 1 नवंबर तक नदी की पैमाइश कर सीमांकन की रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि ग्राम गोविंदापुर, सैदपुर हाकिंस, स्वालेनगर, नवदिया, जसौली में किला नदी पर स्थायी और अस्थायी कब्जे हैं। एक व्यक्ति ने नदी की भूमि पर तीन मकान खड़े कर दिए। एक ने अमरूद का बाग तक खड़ा किया तो कई बाउंड्रीवाल भी नदी की भूमि पर मिली थीं।
नगर निगम क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली नदी राजस्व ग्राम सैदपुर हाकिंस, सुर्खा छावनी के राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं है, लेकिन मौके पर प्रवाहित हो रही है। इधर, जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने शनिवार को अफसराें संग किला नदी का निरीक्षण किया, इससे उम्मीद जगी है कि अब अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई होगी।
सिर्फ 12 स्थानों पर नदी अपने स्थान पर बहती मिली थी
– तहसील सदर की टीम ने नदी भूमि की पैमाइश कर सीमांकन किया था। इसमें पाया गया कि ग्राम वाकरनगर, सुंदरासी, महलऊ, मैदापुर, सनौआ, विधौलिया, महेशपुर अटरिया, रहपुरा चौधरी, मठ लक्ष्मीपुर, मठ कमल नैनपुर, सुर्खा छावनी में देवरनियां (किला नदी) अपने स्थान पर बहती मिली थी, लेकिन नदी नाले के स्वरूप में बह रही है। सैदपुर हाकिंस, रहपुरा चौधरी, मठ लक्ष्मीपुर, मठ कमलनैनपुर, महेशपुर अटरिया, स्वालेनगर नवदिया, सुर्खा छावनी, जसौली, मैदापुर क्षेत्रों में नदी की भूमि पर ज्यादा कब्जे हैं।
इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण, अतिक्रमणकारियों के नाम गायब
सैदपुर हाकिंस में गाटा संख्या 123 में 0.240 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अस्थायी अतिक्रमण मिला था।अतिक्रमणकारी का नाम नहीं खोला। इसी क्षेत्र में गाटा संख्या 391 में 0.053 हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्थायी अतिक्रमण मिला। यहां तीन मकान और दो बुनियाद बनाई गई थीं, लेकिन रिपोर्ट में अतिक्रमणकारियों के नाम अज्ञात में दिखाए थे। गाटा संख्या 886 व 887 के 0.013 और 0.006 हेक्टेयर में स्थायी बाउंड्रीवॉल बनी मिली। अतिक्रमणकारी का नाम अज्ञात में था। स्वालेनगर नवदिया में गाटा संख्या 80 में 0.005 हेक्टेयर पर अतिक्रमणकारी ने पन्नी डाली थी, अब पक्का निर्माण हो गया। जसौली ए बाहर चुंगी में गाटा संख्या 227 में 0.898 हेक्टेयर में अस्थायी अतिक्रमण मिला था।
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