नई आबकारी नीति में बिना परमिट शराब बेचने वालों की खैर नहीं, इस हफ्ते होगी नोटिफिकेशन जारी

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ख़बर रफ़्तार, चंडीगढ़:  यूटी प्रशासन ने साल 2024-25 के वित्तीय सत्र में लागू होने वाली आबकारी नीति तैयार कर कर ली है। इसी माह नीति की अधिसूचना कभी भी जारी हो सकती है। उम्मीद है कि इसी सप्ताह पॉलिसी की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

200 करोड़ रुपए का हुआ है घाटा

प्रशासक के साथ चर्चा के बाद नीति को फाइनल कर लिया गया है। पॉलिसी में कई तरह की नई सिफारिशों को शामिल किया गया है ताकि प्रशासन को बीते वर्ष की तरह घाटा न हो। आबकारी नीति से प्रशासन को 200 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। नीति में शराब तस्करी को रोकने के लिए विशेष कदम उठाने की बात शामिल है।

आबकारी नीति की खामियों को किया जाए दूर

बिना परमिट के बिकने वाली शराब मिलने पर ठेकेदार से सख्ती से निपटा जाएगा। शहरवासियों के सुझाव भी लिए गए हैं। नई आबकारी नीति बनाने के लिए प्रशासन ने दूसरे राज्यों में लागू नीति का भी अध्ययन किया है, ताकि चंडीगढ़ की आबकारी नीति की खामियों को दूर किया जाए।

खामियों के चलते 18 शराब ठेके रहे बिना नीलामी के

नई नीति में शराब के ठेके बंद और खुलने के समय को भी कम और बढ़ाया जा सकता है। हर बार शहर में विक्रेताओं में शराब के ठेकों को लेने की होड़ रहती थी लेकिन पिछले साल पहली बार नीति में खामियां होने के कारण 18 शराब के ठेके बिना नीलामी के ही रह गए थे।

जिससे प्रशासन को राजस्व का नुकसान हुआ है। नीति को लागू होने से भी ठेकेदारों की एसोसिएशन भी प्रेसवार्ता कर अपना रूख बताएगी। जबकि इससे पहले जब प्रशासन ने नई नीति के लिए स्टेक होल्डर्स और शहरवासियों से सुझाव मांगे थे उस समय ठेकेदारों ने विरोध जाहिर करते हुए सुझाव नहीं दिए थे।

इसलिए जल्दी आ रही है नीति

इस बार जल्दी आबकारी नीति आने का कारण यह है कि मार्च माह में लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू होने की संभावना है। इसलिए इस माह के अंत तक एक अप्रैल से लागू होने वाली नीति की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। आबकारी एवं कराधान विभाग ने नई आबकारी नीति मंजूरी के लिए प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित को भेज दी है।

ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा

जबकि हर बार मार्च माह के अंत में नीति की अधिसूचना जारी की जाती रही है। पिछले पांच साल में एक्साइज होने वाले राजस्व का टारगेट कभी भी प्रशासन पूरा नहीं कर पाया है। हर साल लक्ष्य पूरा न करने के कारण घाटा हुआ है। इसका खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है।

साल 2019 से लेकर 2023 तक प्रशासन कभी भी अपना टारगेट का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाया। घाटे को पूरा करने के लिए ही प्रशासन ने एक साल के भीतर तीन अतिरिक्त आबकारी एवं कराधान अधिकारी बदल दिए हैं।

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