
खबर रफ़्तार, देहरादून: स्वास्थ्य, पंचायतीराज और शहरी विकास विभागों के बीच तालमेल न होने से राज्य सरकार के 307.72 करोड़ रुपये केंद्र में लटक गए। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत केंद्र सरकार ने गांवों, कस्बों और शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं को उच्चीकृत करने और सुधार लाने के लिए वर्ष 2020-21 में 150.12 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की।
50 प्रतिशत धनराशि खर्च करने पर दूसरी किस्त जारी होनी थी, लेकिन पिछले करीब दो साल में तीनों विभाग 25 से 30 प्रतिशत ही खर्च कर पाए। नतीजा यह है कि 50 प्रतिशत खर्च का उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) न मिलने से केंद्र ने दूसरी किस्त भी जारी नहीं की। स्थानीय शहरी निकायों व पंचायती राज संस्थाओं और स्वास्थ्य विभाग के जरिये धनराशि खर्च होनी है, लेकिन तीनों विभागों के बीच में समन्वय नहीं बन पा रहा है।
ये स्थिति तब है, जब वित्त विभाग ने तीनों विभागों को खर्च समय पर करने के संबंध में सात बार पत्र जारी किए। चार समीक्षा बैठकें भी कीं। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने विभागीय हीलाहवाली के लिए संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार माना और उन्हें समय पर यूसी देने को कहा। कुल मिलाकर तीनों विभागों की ढिलाई का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ा है, जिसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र औश्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण और सुधार से फायदा मिलता।
पांच साल में राज्य को मिलने 797 करोड़
समन्वय के अभाव में खर्च समय पर नहीं हो पाया है। वित्त विभाग की ओर से तीनों विभागों को लगातार निर्देश जारी किए जा रहे हैं। मुख्य सचिव ने भी पिछले दिनों एक बैठक में खर्च में देरी की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। वित्त विभाग की ओर से फिर बैठक की जाएगी। – दिलीप जावलकर, सचिव (वित्त)
5वें वित्त आयोग की स्वास्थ्य के लिए मिली धनराशि तीन विभागों को खर्च करनी है। स्वास्थ्य विभाग को जो धनराशि प्राप्त हुई थी, उसका उपयोग कर लिया गया है, उसका उपयोगिता प्रमाणपत्र भी जमा कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर इसमें कोई ढिलाई नहीं बरती गई। – डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव (स्वास्थ्य)
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