वातानुकूलित इंजन होने पर भी तप रहे रेलवे के लोको पायलट, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

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ख़बर रफ़्तार, गोरखपुर: रेलवे के लोको पायलट एसी (एयर कंडीशनर) में भी तप रहे हैं। एक तो सभी इलेक्ट्रिक इंजनों में एसी नहीं हैं। जिन इंजनों में एसी है, वह भी काम नहीं कर रहा। अधिकतर इंजनों के एसी खराब हैं। कई इंजनों में लगे एसी रास्ते में ही जवाब दे जा रहे। समय से मरम्मत नहीं होने से एसी से गर्म हवाएं निकल रही हैं।

गोरखपुर के रास्ते भटनी से अयोध्या के बीच चलने वाली महत्वपूर्ण मेमू ट्रेन के इंजन में लगा एसी भी सही से काम नहीं कर रहा। शिकायत पर भी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लोको पायलट लगभग 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में ट्रेन लेकर चलने को मजबूर हैं। गर्मी के चलते 10 से 12 घंटे की ड्यूटी में लोको पायलटों की तबीयत भी खराब हो जा रही है।

14 जून को गोरखपुर से खाद कारखाना (एचयूआरएल) के लिए रवाना हुई बीसीएन मालगाड़ी के इंजन में भी दो एसी लगे थे, लेकिन दोनों सही से काम नहीं कर रहे थे। 11 अप्रैल को बस्ती से गोंडा जा रही बीसीएन अप मालगाड़ी में लगे इलेक्ट्रिक इंजन डब्ल्यूएजी 9 में लगा एसी काम करना बंद कर दिया।

ट्रेन लेकर चल रहे लोको पायलट ने संबंधित अधिकारियों से इसकी शिकायत की, लेकिन समाधान नहीं हुआ। अधिकारियों का कहना था कि बरौनी का इंजन है। उनके पास एसी मरम्मत की कोई व्यवस्था नहीं है। 17 अप्रैल को गोरखपुर-गोंडा अप बीसीएन मालगाड़ी के इंजन में लगा एसी गर्म हवा देने लगा।

लोको पायलट परेशान हो उठे। मालगाड़ी 10 घंटे में गोंडा पहुंची। गोंडा पहुंचने पर एक लोको पायलट की तबीयत खराब हो गई। यह तो कुछ उदाहरण हैं। एसी या नान एसी इंजन की हालत एक समान हो गई है। लोको पायलटों का कहना है कि एक तो 43 से 44 डिग्री का तापमान रह रहा है। इंजन में केबिन के पीछे ही ट्रांसफार्मर होता है।

इसके चलते बाहर के तापमान से अंदर केबिन का तापमान 5 से 7 डिग्री बढ़ जा रहा। केबिन में लगे पंखे भी आग बरसा रहे हैं। हालांकि, गोरखपुर स्थित लोको शेड में 44 पुराने माडल के इलेक्ट्रिक इंजन हैं, जिनमें सिर्फ 2 में ही एसी लगा है। 05 नए डब्ल्यूएपी 7 माडल के इंजन हैं, इन सभी में एसी लगे हैं जो कार्य कर रहे हैं।

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फिलहाल, अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए लोको पायलट साथ में पानी का गैलन, ग्लूकोज का घोल, नींबू, इलेक्ट्राल और आवश्यक दवाइयां लेकर चल रहे हैं। इसके बाद भी रास्ते में तबीयत खराब हो जा रही। इधर कुछ दिनों से रेलवे प्रशासन लाबी में ओआरएस का पैकेट रखवाने लगा है, ताकि लोको पायलटों को पानी की कमी ना हो।

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