ख़बर रफ़्तार, नई दिल्ली: केंद्र सरकार का खासा जोर महिला सशक्तिकरण पर है। संसद में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण के साथ महिला केंद्रित कई योजनाएं लागू की गई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के पिटारे से भी महिलाओं के लिए कई लाभकारी घोषणाएं (Budget 2024) हुईं। उसमें से एक है कामकाजी महिलाओं के लिए सुरक्षित आवास की व्यवस्था।
महिलाओं को सस्ता और सुरक्षित आवास ढूंढने में रहती है समस्या
यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सरकार के प्रयासों व बदले माहौल में महिलाओं को ग्रामीण व शहरी इलाकों में रोजगार तो आसानी से मिल जाता है लेकिन सुरक्षित आवास आज भी उनके लिए चिंता का विषय बना हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी में भी ऐसी महिलाओं व युवतियों की संख्या अधिक है, जो सुदूर क्षेत्रों से आकर यहां नौकरी कर रही हैं। लेकिन उन्हें रहने के लिए सस्ता व सुरक्षित आवास ढूंढने में समस्या रहती है।
23.3 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में हुई 37 प्रतिशत
कई मामलों में इसके चलते वो अपने गृह क्षेत्र से दूर नौकरी करने में कतराती हैं। बीते वर्षों के आंकड़ों को देखे तो देश में महिला श्रम बल भागीदारी दर पिछले छह वर्षों से बढ़ रही है, जो 2017-18 के 23.3 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 37 प्रतिशत हो गई है। इसलिए सरकार ने कामकाजी महिलाओं को बिना किसी समस्या के देश के किसी भी जिले में कामकाज के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कामकाजी महिला छात्रावास स्थापित करने का निर्णय लिया है।
इस छात्रावास में कामकाजी महिलाएं सुरक्षित रह सकेंगी। केंद्र सरकार की ओर से कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कामकाजी महिला छात्रावास स्थापित करने की घोषणा से महिलाओं में काफी खुशी है। उनके मुताबिक अब वो तनावमुक्त होकर काम कर सकेंगी।
दिल्ली में फिलहाल 16 कामकाजी महिला छात्रावास हैं। महिलाओं ने कहा कि वो चाहती हैं कि दिल्ली के हर जिले में कम से कम दो कामकाजी महिला छात्रावास हों ताकि उनको रुकने का ठिकाना ढूंढने के लिए दर-दर भटकना न पड़े। उन्हें उनके ऑफिस के नजदीक ही रहने की जगह मिल जाए।
उनके मुताबिक अभी उन्हें किराये पर कमरा लेकर रहना पड़ता है, जिसका किराया भी महंगा पड़ता है। उसमें भी हर समय उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता सताती है। लेकिन कामकाजी महिला छात्रावास स्थापित होने से उनकी काफी समस्याओं का निराकरण हो जाएगा।
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