
खबर रफ़्तार, पिथौरागढ़: काली और गोरी नदियों के संगम पर दो देशों भारत और नेपाल सीमा पर लगने वाला जौलजीबी मेला आज से शुरू हो गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसका शुभारंभ किया। मेले को लेकर स्थानीय लोगों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। हालांकि सीमा पार नेपाल में अभी इसे लेकर चहल पहल कम दिख रही है। इसका कारण वहां हो रहा चुनाव बताया जा रहा है।
- कभी तीन देशों के लिए अहम था यह मेला
इस मेले में नेपाल और भारत दोनों ही देशो के लोग पहुंचते हैं। पहले कभी यहां तिब्बत से भी लोग आते थे, मगर तिब्बत के चीन के अधिकार में जाने के बाद वहां से व्यापारियों का आना कम हो गया। इस बार भी तिब्बती सामान मेले में काफी कम लाए गए हैं।
- ढाई सौ से तीन सौ दुकानें सजीं
जौलजीबी मेले को लेकर धारचूला तहसील प्रशासन और मेला कमेटी द्वारा सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। मंच तैयार होकर सजा दिया गया है। मेला क्षेत्र में दुकानें लग चुकी हैं। अभी तक ढाई सौ से तीन सौ के बीच दुकान लग चुकी हैं। मेले की सुरक्षा व्यवस्था हेतु जिले भर से पुलिस भी जौलजीबी पहुंच चुकी है। एसएसबी और आइटीबीपी के जवान भी पहुंंचे हैं।
- नेपाल में चुनाव के कारण हलचल नहीं
दूसरी तरफ नेपाल में चुनाव के चलते किसी तरह की हलचल नहीं है। वैसे भी नेपाल में मेला मकर संक्रांति से प्रारंभ होता है। चुनाव के चलते मकर संक्रांति 16 नवंबर को वहां पर केवल सांकेतिक शुभारंभ की संभावना है। 18 नवंबर को भारत नेपाल को जोडऩे वाला अंतरराष्ट्रीय झूला पुल 72 घंटों के लिए बंद हो जाएगा। 21 नवंबर की सुबह से ही पुल पर आवाजाही होगी । नेपाल में मेला प्रारंभ होगा।
- नेपाल क्षेत्र में 21 नवंदर से बढ़ेगी चहल पहल
नेपाल क्षेत्र के मेले में रौनक भी 21 नवंबर के बाद ही होने के आसार हैं। भारत में स्थानीय लोग भी मकर संक्रांति से ही मेले में प्रतिभाग करते हैं। अतीत से ही संक्रांति के दिन स्थानीय लोगों के काली और गोरी नदी संगम पर स्नान और भगवान शिव के जालेश्वर मंदिर में पूजा की परंपरा रही है।
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