ये आकाशवाणी अल्मोड़ा है…, पुरानी यादों को बयां कर रही है इमारत

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ख़बर रफ़्तार, अल्मोड़ा:  ये आकाशवाणी अल्मोड़ा है…..। रेडियो पर जब यह आवाज सुनाई देती है तो कान के पर्दे अतीत के स्वरों में खोने लगते हैं। इस आकाशवाणी का अतीत सुनहरा रहा है। इसी सुनहरे अतीत को संजोते हुए अब आधुनिक युग ने रेडियो को अन्य नए माध्यमों से जोड़ दिया। हालांकि आज केंद्र की हालत बहुत बेहतर नहीं, आकाशवाणी खुद की व्यथा को प्रसारित करती है।

कहती है, जरा याद करो वो गुजरा कल। लेकिन अब इंटरनेट और एफएम की दुनिया ने रेडियो जगत को बचा लिया है। जून 1986 को अल्मोड़ा में आकाशवाणी केंद्र शुरू हुआ। केंद्र ने पूरे क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। यहां सुबह से रात तक विभिन्न कार्यक्रम लोगों को खूब लुभाते थे। मीडियम वेब (एमडब्ल्यू) में एक किलोवाट क्षमता ट्रांसमीटर वाले केंद्र का लाभ पूरे कुमाऊं के लोगों को नहीं मिलता था।

वर्तमान में आधुनिक युग के दौरान आकाशवाणी केंद्र की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही। एक किलोवाट क्षता से बहुत अधिक श्रोता नहीं जुड़ पाते। हालांकि अब पपरशैली में पांच किलोवाट क्षमता ट्रांसमीटर वाला एफएम टावर काम कर रहा है। जून 2021 को आकाशवाणी केंद्र अल्मोड़ा को एफएम से जोड़ा गया। अब एफएम रिले कर रेडियो को अपनी आवाज जनता तक पहुंचाने को एक और मौका मिल गया है। जबकि मोबाइल एप के माध्यम से भी आकाशवाणी केंद्र अल्मोड़ा देश और दुनिया तक पहुंच चुका है।

पांच कार्यक्रम अधिकारियों के हवाले कार्यक्रम

आकाशवाणी केंद्र अल्मोड़ा में कार्मिकों का भारी अभाव है। वंदे मातरम से लेकर जय हिंद तक के कार्यक्रम पांच कार्यक्रम अधिकारियों के हवाले है। अल्मोड़ा आकाशवाणी में सुबह 6:25 पर वंदे मातरम से दिन की शुरूआत होगी है। दिन भर कार्यक्रमों का दौर चलता है। और रात 11:10 बजे जय हिंद से कार्यक्रम समाप्त होते हैं। लेकिन यहां कार्मिकों का भारी अभाव है। पांच कार्यक्रम अधिकारी ही यहां पूरा कार्यक्रम प्रबंधन कर रहे हैं।

अब भी आती है चिट्ठी और पोस्टकार्ड

चिट्ठी और पोस्टकार्ड के दिन लद गए हैं। लेकिन आकाशवाणी अपने पुराने दिनों को संजोए हुए हैं। यहां अाज भी झाड़खंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर समेत विभिन्न स्थानों से पोस्टकार्ड और चिट्ठी पहुंचती हैं। हालांकि व्हट्सएप मैसेज के माध्यम से भी फरमाइश होती हैं। लेकिन अपनी फरमाइश और नाम भेज लोग डाक के माध्यम से भी चिट्ठी भेजते हैं।

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