वन भूमि स्वीकृति के फेर में लटके ठोस अपशिष्ट प्रोजेक्ट, शहरी विकास के पास प्रस्तावों का अंबार

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ख़बर रफ़्तार, देहरादून:  वन भूमि हस्तांतरण न होने से नगर निकायों के ठोस अपशिष्ट प्रोजेक्ट अधर में लटके हैं। विभिन्न जिलों से इस संबंध में शासन से पत्राचार किया गया है, ताकि समय से हस्तांतरण होने के बाद प्रोजेक्ट लगाने का काम आगे बढ़ सके।

दरअसल, तमाम निकायों में ठोस अपशिष्ट के प्रोजेक्ट बनने हैं। इन प्रोजेक्ट के लिए वन भूमि की आवश्यकता है, जिसके प्रस्ताव जिलों से वन विभाग को भेजे जा चुके हैं। इनमें चंपावत जिले के टनकपुर, पौड़ी के सतपुली, रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा व ऊखीमठ, ऊधमसिंह नगर के शक्तिगढ़ व खटीमा और टिहरी के गजा नगर निकायों की अनुमति लंबित है।

हालांकि चंपावत में लोहाघाट व नैनीताल में रामनगर के लिए भूमि हस्तातंरण हो गया है। इनकी आगे की प्रक्रिया गतिमान है। इस संबंध में निदेशक शहरी विकास नितिन सिंह भदौरिया ने प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण और शहरी विकास आरके सुधांशु को पत्र भेजकर जल्द अनुमति करवाने का अनुरोध किया है ताकि उसी हिसाब से ठोस अपशिष्ट के प्रोजेक्ट स्थापित किए जा सकें।

अनुमति के बिना कैसे चलाएं मशीन

गंगोत्री नगर पंचायत में ठोस अपशिष्ट निस्तारण के लिए पर्यटन मंत्रालय ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मशीन स्थापित की थी। अब इस मशीन का संचालन शहरी विकास को करना है लेकिन इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वन मंत्रालय की अनुमति नहीं मिल पाई है। इस संबंध में शासन स्तर पर प्रक्रिया गतिमान बताई जा रही है।

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