1989 के कोयला हादसा को दिखाएगी ‘मिशन रानीगंज’, फिल्म की ट्रेलर रिलीज डेट आउट

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खबर रफ़्तार, नई दिल्ली:  इस साल ‘ओएमजी 2’ में शिव भगवान के दूत बनकर आए अक्षय कुमार अब अपने फैंस के सामने ‘मिशन रानीगंज’ की सच्चाई दिखाते नजर आएंगे। फिल्म को लेकर एक्टर काफी उत्साहित हैं।

फिल्म की कहानी 1989 के बैकड्रॉप पर बनी है, जिसकी कहानी रानीगंज के अहम रेस्क्यू मिशन के इर्द-गिर्द घूमती है। फैंस फिल्म के ट्रेलर को देखने के लिए उत्साहित हैं और उनका ये इंतजार बस कुछ ही दिनों में पूरा होने वाला है।

कोल हादसे पर आधारित है ‘मिशन रानीगंज’

टीनू सुरेश देसाई के डायरेक्शन में बन कर तैयार हुई अक्षय कुमार की ‘मिशन राजीगंज’ कोल माइन एक्सीडेंट पर आधारित कहानी है, जिसने देश और दुनिया को सदमे में डाल दिया था। फिल्म में 1989 में हुए कोल हादसे को दिखाया जाएगा। इसमें अक्षय कुमार, जसवन्त सिंह गिल के कैरेक्टर में नजर आएंगे। वहीं, उनकी पत्नी के रोल में परिणीति चोपड़ा  हैं। बड़े पर्दे पर दोनों की बेमिसाल जोड़ी को ‘केसरी’ में देखा जा चुका है।

कब आ रहा है ट्रेलर

अक्षय कुमार ने शनिवार को एक्स (ट्विटर) पर फिल्म का छोटा सा वीडियो शेयर किया। उन्होंने लिखा, ”एक आदमी जिसने विपरीत परिस्थितियों को चुनौती दी। मंडे, 25 सितंबर को रिलीज हो रहा है। देखिए भारत के असली हीरो की कहानी के साथ 6 अक्टूबर को।”

कई बार बदला फिल्म का नाम

अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा की इस फिल्म का नाम फाइनल होने के बाद भी कई बार बदला गया। पहले मूवी को ‘कैप्सुल गिल’ के नाम से रिलीज किया जाना था। बाद में इसे ‘द ग्रेट इंडियन रेस्क्यू’ कर दिया गया। फिर इस नाम को भी बदलकर ‘मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू’ कर दिया गया। फिल्म 6 अक्टूबर को रिलीज हो रही है।

क्या था 1989 का हादसा?

‘मिशन रानीगंज’ को वासु भगवानी, जैकी भगनानी, दीपशिखा देशमुख और अजय कपूर ने प्रोड्यूस किया है। पश्चिम बंगाल के रानीगंज में 1989 में कोयला हादसा की यह घटना ‘काला पानी’ जैसी साबित हुई थी। 1989 की एक रात को खदान में काम करते हुए वर्कर्स ने नोटिस किया कि कोई ब्लास्ट हुआ है, जिससे कोयला खदान के बाहर की सतह क्रैक हो गई है। उस ब्लास्ट से पूरी खदान हिल गई है।

दरार की वजह से पानी का तेज बहाव अंदर आ गया। बहाव इतना ज्यादा था कि अंदर फंसे कुछ मजदूरों की मौत हो गई। जो लिफ्ट के पास थे, वह किसी तरह बच गए। लेकिन अंदर 65 और मजदूर थे, जो फंस गए थे। पानी का बहाव बढ़ता जा रहा था और इससे वहां फंसे लोगों की उम्मीदें खोती जा रही थीं। तब इन सबमें एक कर्मचारी जसवंत सिंह गिल थे, जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने कोयले की खदान में फंसे उन 65 फंसे मजदूरों को बाहर निकाला।

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