ख़बर रफ़्तार, देहरादूनः उत्तराखंड समेत देशभर में नशे का इस्तेमाल और नशे की तस्करी तेजी से बढ़ती जा रही है. जिस पर लगाम लगाना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. उत्तराखंड सरकार ने साल 2025 तक ‘नशा मुक्त उत्तराखंड’ बनाने का लक्ष्य रखा है. लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर न सिर्फ नशीले पदार्थ बरामद किए जा रहे हैं, बल्कि बड़े स्तर पर नशे के सौदागरों की गिरफ्तारी भी हो रही है. बावजूद इसके नशा तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है. इसके चलते युवा नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं. उत्तराखंड की बात करें तो पिछले कुछ सालों में सैकड़ों किलो अफीम, चरस, डोडा जब्त किया जा चुका है.
देश और प्रदेश में लगातार बढ़ रहा नशा, समाज के लिए एक अभिशाप बनता जा रहा है. ऐसे में ‘नशा मुक्त समाज’ निर्माण के लिए हर साल 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के रूप में जाना जाता है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी के खिलाफ, वैश्विक स्तर की लड़ाई के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 7 दिसंबर 1987 को अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स दिवस की स्थापना की थी. ताकि इसके खिलाफ जागरूकता फैलाने के साथ ही नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर लगाम लगायी जा सके.
वहीं, ‘शिक्षा का हब’ कहे जाने वाले देहरादून समेत प्रदेश भर में नशा तेजी से फैलता जा रहा है. जिसका जीता जागता उदाहरण प्रदेश में साल दर साल बड़ी मात्रा में पकड़ी जा रहे नशे की खेप है. नशे का कारोबार सिर्फ प्रदेश के मैदानी जिलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भी तेजी से पैर पसार चुका है. साल 2024 के आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी से मई 2024 तक प्रदेश में एनडीपीएस के 572 मामले सामने आ चुके हैं. इन मामले में 692 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
एसटीएफ की एंटी नारकोटिक्स विंग से मिली जानकारी के अनुसार साल 2023 में 1335 मामले सामने आए थे, जिसमें 1789 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. साल 2022 में 1440 मामले सामने आए थे जिसमें 1759 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. साल 2021 में 1801 मामले सामने आए थे जिसमें 2163 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. यानी पीछले तीन साल और पांच महीने में कुल 5148 मामले सामने आ चुके हैं. इन सभी मामलों में कुल 6403 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इसके अलावा, प्रॉपर्टी के जब्ती की भी कार्रवाई की गई है.
एसटीएफ से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2021 में हरिद्वार जिले में प्रॉपर्टी सीज की एक कार्रवाई की गई थी. इस कार्रवाई में करीब 97 लाख 54 हजार 730 रुपए की प्रॉपर्टी सीज की गई थी. इसी तरह साल 2023 में तीन जिलों में 8 प्रॉपर्टी सीज की गई थी. जिसके तहत हरिद्वार जिले में 6 मामलों में 1 करोड़ 44 लाख 97 हजार रुपए की प्रॉपर्टी सीज की गई थी. पौड़ी जिले के एक मामले में 24 लाख 53 हजार 348 रुपए की प्रॉपर्टी सीज की गई थी. इसके साथ ही चमोली जिले के एक मामले में 1 लाख 25 हजार रुपए की गाड़ी सीज की गई है. यानी 2021 और 2023 में कुल 9 मामलों में 2 करोड़ 68 लाख 30 हजार 078 रुपए की प्रॉपर्टी सीज की गई है. 2022 में प्रॉपर्टी सीज की कोई कार्रवाई नहीं की गई.
एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि नशा एक ऐसी समस्या है जिसे पुलिस प्रशासन अकेले कंट्रोल नहीं कर सकता है. इसके लिए जरूरी है कि समाज एकजुट होकर नशे के खिलाफ काम करे. जहां से भी नशे की सप्लाई हो रही है, उस पर लगाम लगाने के लिए एसटीएफ की एंटी नारकोटिक्स टीम कार्य कर रही है. ये एक लंबी लड़ाई है जिसको जीतने के लिए एसटीएफ की एंटी नारकोटिक्स विंग काम कर रही है. मेडिकल स्टोर्स से मिलने वाली नशीली दवाओं पर लगाम लगाने को लेकर ड्रग इंस्पेक्टर्स के साथ मिलकर समय-समय पर कार्रवाई की जा रही है.
प्रदेश में आने वाली नशे की खेप के सवाल पर एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ जगहों पर अफीम और भांग की खेती होती है. यहां से मैदानी क्षेत्रों में सप्लाई की जाती है. इसके अलावा, उत्तराखंड के वो जिले जो उत्तर प्रदेश के जिलों से सटे हुए हैं, वहां से भी नशीले पदार्थों की सप्लाई का होना पाया गया है. यही नहीं, नेपाल सीमा से भी नशे के सप्लाई की सूचना प्राप्त होती रहती है. जिसके चलते कई बार नेपाल सीमा से भी नशे की खेप पकड़ी गई है.
उन्होंने कहा कि नशे के कारोबार और इससे जुड़े कारोबारियों की कमर तोड़ने के लिए पिछले कुछ सालों से नई पहल भी शुरू की है. जिसके तहत नशे से जुड़े कारोबारियों की फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन भी की जा रही है. ऐसे में नशा तस्करों द्वारा अर्जित अवैध संपत्तियों को सीज किया जा रहा है. साथ ही प्रिवेंटिव डिटेंशन के तहत एनडीपीएस में भी कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. ऐसे में अभी तक तीन लोगों को प्रिवेंटिव डिटेंशन के तहत गिरफ्तार किया जा चुका है. नशे पर लगाम लगाने को लेकर एनफोर्समेंट को और अधिक प्रभावी बनाने के साथ ही जन जागरूकता पर जोर दिया जा रहा है.
साल दर साल पकड़ी गई नशे के खेप के आंकड़े:
- साल 2021 में 1801 मामले सामने आए. जिसमें 2163 लोगों की गिरफ्तारी हुई. इस साल 282.606 किलो चरस, 221.045 किलो डोडा, 20.857 किलो अफीम, 1.227 किलो हेरोइन, 18.103 किलो स्मैक, 1612.41 किलो गांजा, 1,18,361 टेबलेट्स, 9,992 इंजेक्शन, 19,359 कैप्सूल बरामद किए गए.
- साल 2022 में 1440 मामले सामने आए. जिसमें 1759 लोगों की गिरफ्तारी हुई. इस साल 240.813 किलो चरस, 30.238 किलो डोडा, 12.324 किलो अफीम, 0.0139 किलो कोकीन, 1.571 किलो हेरोइन, 17.995 किलो स्मैक, 1191.01 किलो गांजा, 37,360 टैबलेट्स, 17,901 इंजेक्शन, 98,840 कैप्सूल बरामद किए गए.
- साल 2023 में 1335 मामले सामने आए. जिसमें 1789 लोगों की गिरफ्तारी हुई. इस साल 251.647 किलो चरस, 160.725 किलो डोडा, 28.958 किलो अफीम, 23.6553 किलो स्मैक, 1469.94 किलो गांजा, 6,28,718 टैबलेट्स, 14371 इंजेक्शन, 1,85,107 कैप्सूल बरामद किए गए.
- साल 2024 में मई महीने तक 572 मामले सामने आए. जिसमें 692 लोगों की गिरफ्तारी हुई. इस साल 123.828 किलो चरस, 397.169 किलो डोडा, 12.528 किलो अफीम, 0.0507 कोकीन, 7.554 किलो स्मैक, 816.328 किलो गांजा, 5510 टैबलेट्स, 3311 इंजेक्शन, 6393 कैप्सूल बरामद किए गए हैं.
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