
खबर रफ़्तार, देहरादून: सगंध पौध केंद्र सेलाकुई में 10 साल से कपूर की खेती पर शोध चल रहा है, जिसके अच्छे नतीजे मिले। जंगली जानवरों से तंग किसानों को अब खेती का विकल्प मिलेगा। इससे आमदनी बढ़ेगी।
उत्तराखंड में आने वाले समय में प्राकृतिक खेती से कपूर की (वैज्ञानिक नाम सिन्नामोमम कैंफोरा) खुशबू महकेगी। एरोमा व औषधीष पौधों की खेती को बढ़ा रहे सगंध पौध केंद्र सेलाकुई को 10 साल के शोध के बाद राज्य में कपूर की खेती के लिए अच्छे नतीजे मिले हैं। इससे जंगली जानवरों के नुकसान से परेशान किसानों को पारंपरिक फसलों की जगह कपूर की खेती का विकल्प मिलेगा।
कपूर एक सुगंधित सदाबहार वृक्ष है। इसकी पत्तियों से तैयार तेल का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा, धार्मिक अनुष्ठान, साबुन, क्रीम व अन्य परफ्यूमरी उत्पादों में किया जाता है। देश में कपूर की खेती में कमी आई है। जिससे यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार है। सगंध पौध केंद्र की ओर से कपूर की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने व संरक्षण पर शोध किया जा रहा है।
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