ख़बर रफ़्तार, देहरादून: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में हलाला जैसी प्रथा पर प्रतिबंध, तीन साल की सजा व एक लाख जुर्माने के प्रावधान पर दून के उलेमा भी मुतमईन (संतुष्ट) हैं। उनका कहना है कि इस्लाम में हलाला हराम है। ऐसी किसी प्रथा की कुरआन या हदीस इजाजत ही नहीं देता है। ऐसे में इस पर रोक हो या न हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
समान नागरिक संहिता में महिला के दोबारा विवाह करने (चाहे वह तलाक लिए हुए उसी पुराने व्यक्ति से विवाह करना हो या किसी दूसरे व्यक्ति से) को लेकर किसी भी तरह की शर्तों को प्रतिबंधित किया गया है। संहिता में माना गया है कि इससे पति की मृत्यु पर होने वाली इद्दत और निकाह टूटने के बाद दोबारा उसी व्यक्ति से निकाल से पहले हलाला यानी अन्य व्यक्ति से निकाह व तलाक का खात्मा होगा। यूसीसी में हलाला का प्रकरण सामने आने पर तीन साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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