नैनी झील का जलस्तर नौ महीने में 12 फीट घटा, अब वॉटर लेवल माइनस की ओर बढ़ने के आसार

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ख़बर रफ़्तार, नैनीताल:  शीतकाल में मौसम की बेरुखी, कम वर्षा और अब ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन के दबाव से नैनीताल की खूबसूरत नैनी झील की सेहत बीमार पड़ रही है। बीते पांच साल में यह पहली बार हुआ है जब जून दूसरे पखवाड़े में झील का जलस्तर शून्य पर आ चुका है। अब इससे नीचे जाने पर इसे सामान्य से माइनस की ओर बढ़ना माना जाएगा।

माइनस का मतलब यह है कि झील के कोने सूख चुके हैं और धीरे-धीरे पानी के कुल क्षेत्रफल का आकार सिकुड़ रहा है। आदर्श स्थिति शून्य से ऊपर की ओर बढ़ना है। पिछले साल इस सीजन में झील का पानी शून्य से 3.67 फीट ऊपर था। सितंबर में झील अपने सर्वोच्च स्तर पर थी। यानी पानी शून्य से 12 फीट ऊपर चल रहा था, मगर वर्षा ने दगा दिया तो दिन प्रतिदिन स्थिति बिगड़ती चली गई।
झील में पानी का घटना इसके पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इस समय गर्मी के कारण कैचमेंट व अन्य रिसोर्स से पानी का प्रवाह झील में कम है। ऊपर से शहर को लगातार जलापूर्ति हो रही है। इस कारण हालात भी उसी तेजी से खराब होते जा रहे हैं।

रोजाना शहर के लिए इतनी जलापूर्ति

ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन में जल संस्थान सामान्य दिनों में नैनीताल शहर को रोजाना आठ एमएलडी यानी करीब 80 लाख लीटर पेयजल की आपूर्ति कर रहा है। वीकेंड पर पर्यटकों का दबाव बढ़ता है तो पानी की आपूर्ति बढ़ाकर नौ एमएलडी (90 लाख लीटर) प्रतिदिन कर दी जाती है। अप्रैल से पर्यटन सीजन चरम पर है। झील से करीब 20 मीटर दूरी पर पहला व सूखाताल में दूसरा ट्यूबवेल लगा है। इन्हीं ट्यूबवेल से शहर को जलापूर्ति होती है और इसका सीधा प्रभाव झील पर पड़ता है। क्योंकि यह पानी झील के ही अपने कैचमेंट का है।

बीते पांच वर्षों में 11 जून को जलस्तर व वर्षा की स्थिति

  • वर्ष जलस्तर वर्षा (जनवरी से अब तक)
  • 2024 शून्य 151 मिमी
  • 2023 3.67 फीट 514 मिमी
  • 2022 3 फीट 197 मिमी
  • 2021 2.67 फीट 531 मिमी
  • 2020 6.42 फीट 552 मिमी

ऐसे समझें झील का जलस्तर

झील नियंत्रण कक्ष प्रभारी रमेश सिंह ने बताया कि झील की अधिकतम गहराई 27 मीटर है। झील के किनारे पर जलस्तर को मापने के लिए ब्रिटिशकाल से ही गेज मीटर लगाए गए हैं। जिसमें 0-12 फीट तक ऊंचाई इंगित है। गेज मीटर में जब पानी शून्य से नीचे जाता है तो माइनस और ऊपर को प्लस में मापा जाता है।

झील की गहराई के सापेक्ष 24.5 मीटर जलस्तर को सामान्य माना जाता है। जलस्तर शून्य पहुंचने पर भी झील में 24.5 मीटर पानी बना रहता है। फिलहाल झील का जलस्तर शून्य पहुंच गया है। अब इससे नीचे की स्थिति माइनस में रहेगी।

बैराज बने तो हो समाधान

2019 में सरकारी स्तर पर खैरना बैराज के विकल्प को सामने लाया गया था। जिसमें कोसी नदी में बडेरी पुल के समीप बैराज का निर्माण कर नैनीताल, रानीखेत, भीमताल व भवाली क्षेत्र के लिए 41 एमएलडी पानी की आपूर्ति का प्रोजेक्ट बनाया गया था।

बैराज के लिए सिंचाई रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने भूगर्भीय समेत अन्य अध्ययन कर 261.23 करोड़, जबकि जल निगम ने पेयजल सप्लाई व अन्य अवस्थापनाओं के लिए 275 करोड़ की डीपीआर तैयार कर शासन भेजी थी, यह प्रोजेक्ट फाइलों में ही रह गया है। अगर बैराज बने तो झील पर दबाव कम होगा और इसकी सेहत सामान्य रहेगी।

गौला नदी में 14 वर्ष के रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंचा पानी

हल्द्वानी: शीतकाल में पहाड़ से लेकर मैदान तक वर्षा की बेरुखी देखने को मिली। गर्मी का सीजन प्रारंभ होने के बाद से खुलकर वर्षा नहीं हो पाई है। ऐसे में गर्मी का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इन हालातों से हल्द्वानी की लाइफ लाइन गौला नदी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। बढ़ते तापमान के बीच जून में नदी का जल स्तर मंगलवार को लुढ़क कर 14 वर्ष के रिकार्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है।

सिंचाई विभाग के अनुसार मंगलवार को गौला बैराज में जल प्रवाह 50 क्यूसेक दर्ज किया गया है। पुराने रिकार्ड के अनुसार 2010 से 2023 के बीच जून में रहे जलस्तर की तुलना में यह सबसे कम है। आंकड़ों के अनुसार बीते 14 वर्ष में नदी में 2010 में 58 क्यूसेक सबसे न्यूनतम जल स्तर रहा था। मगर इस वर्ष पानी सबसे कम स्तर पर पहुंचने की वजह से हल्द्वानी क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई व्यवस्था दोनों प्रभावित हो रही हैं।

पर्याप्त पानी नहीं होने की वजह से गौलापार, लालकुआं और कालाढूंगी क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई कार्य के लिए पानी नहीं पहुंच रहा है। सिंचाई विभाग रोस्टर के अनुसार गूल में पानी दे रहा है। ऐसे में कृषक काफी परेशान हैं। वहीं बैराज में पानी की कमी के कारण दूरस्थ क्षेत्रों में पानी का संकट बना हुआ है।

गौला नदी में जून में न्यूनतम जल स्तर की स्थिति :

  • वर्ष – जल स्तर क्यूसेक
  • 2010 – 58
  • 2011 – 117
  • 2012 – 64
  • 2013 – 142
  • 2014 – 120
  • 2015 – 89
  • 2016 – 80
  • 2017 – 65
  • 2018 – 58
  • 2019 – 57
  • 2020 – 172
  • 2021 – 156
  • 2022 – 69
  • 2023 – 74

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