ख़बर रफ़्तार, नई दिल्ली। इंतजार की घड़ियां खत्म होने वाली हैं। टी20 विश्व कप 2024 का सबसे रोमांचक मुकाबला शुरू होने में अब कुछ ही घंटों का समय बचा है। भारत और पाकिस्तान के बीच यह मैच 9 जून को न्यूयॉर्क में खेला जाएगा। दोनों देशों के फैंस समेत दुनियाभर के क्रिकेट प्रेमियों और पूर्व प्लेयर्स को बेसब्री से इस मुकाबले का इंतजार है। टूर्नामेंट में पाकिस्तान टीम भारत की तुलना में थोड़ी कमजोर नजर आ रही है। हालांकि, टी20 क्रिकेट में कुछ भी संभव है। टी20 विश्व कप 2024 में तो कई चौंकाने वाले उलटफेर भी देखने को मिल चुके हैं।
टी20 विश्व कप 2007 के फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को 5 रन से मात दी थी और पहले ही सीजन में खिताब अपने नाम किया था। पहले सीजन में जब लीग स्टेज में दोनों टीमें टकराई थीं तो यह मैच टाई रहा था। तब आज की तरह सुपर ओवर जैसा कोई नियम भी नहीं था। ऐसे में उस समय के नियम ‘बॉल आउट’ से मुकाबले का नतीजा निकला था। तो आखिर क्या होता है बॉल आउट और कब इस नियम को सुपर ओवर से रिप्लेस किया गया, आइए जानते हैं।
क्या था बॉल आउट का नियम
टी20 विश्व कप 2007 के 10वें मैच में भारतीय टीम की टक्कर पाकिस्तान से हुई थी। टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 9 विकेट खोकर 141 रन बनाए थे। जवाब में मैन इन ग्रीन भी निर्धारित ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 141 रन बना सकी थी। ऐसे में मैच टाई हो गया था। बॉल आउट में भारत ने पाकिस्तान को हराकर मैच पर कब्जा जमाया था। भारत की ओर से वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और रॉबिन उथप्पा ने स्टंप गिराए थे। साथ ही पाकिस्तान की ओर से यासिर अराफात, उमर गुल और शाहिद अफरीदी चूक गए थे।
2008 में आया सुपर ओवर का नियम
आईसीसी 2008 में बॉल आउट की जगह सुपर ओवर का नियम लेकर आया। इस नियम के तहत मैच टाई होने पर दोनों ही टीमों को 1-1 ओवर खेलना होता है। जो भी टीम जीतती है वह विजेता होती है। सुपर ओवर में वह टीम पहले बल्लेबाजी करने उतररती है जो मैच के दौरान बाद में बैटिंग कर रही हो। सुपर ओवर के दौरान अधिकतम 2 विकेट ही गिर सकते हैं। अगर सुपर ओवर में भी दोनों टीमों का स्कोर बराबर रहता है तो फिर से सुपर ओवर कराया जाता है। ऐसा तब तक चलता रहेगा जब तक एक टीम मैच नहीं जीत जाती।
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