ख़बर रफ़्तार, फरीदपुर: करीब 65 पार कर चुकी शांति देवी ऐसी व्यथा से गुजर रही हैं, जिसे ठीक से बयां भी नहीं कर पातीं। लावारिस पड़ी मिली जिस नवजात बच्ची को पति के साथ घर लाकर बेटी की तरह पालकर बड़ा करने के साथ ब्याहकर घर से विदा किया, वह उन्हें अब बेघर करने पर तुली है। काफी समय से उन पर अपना मकान बेचकर पैसे देने का दबाव बना रही है, धमकियां देती है कि अगर मकान नहीं बेचा तो वह उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर कर देगी।
लाइनपार नई बस्ती में रहने वाली शांति देवी कई साल से अपने फैसले पर पछता रही हैं। कोई और रास्ता नहीं बचा तो बृहस्पतिवार को कोतवाली पहुंचकर उन्होंने अपनी गोद ली बेटी के खिलाफ तहरीर दे दी। शांति देवी ने बताया कि उनके अपनी कोई संतान नहीं है।
करीब 25 साल पहले कोई मां एक बच्ची को जन्म देने के बाद उसे अस्पताल के करीब ही लावारिस छोड़ गई थी। वह पति बनवारी के साथ उसे उठाकर घर ले आईं। उसका नाम दुलारी रखा और बेटी की तरह पालना शुरू कर दिया। उसे पढ़ाने-लिखाने और जरूरतें पूरी करने के लिए उनके पति जीवन भर मेहनत-मजदूरी करते रहे। कुछ साल पहले कैंट इलाके में एक युवक से उसकी शादी कर दी।
शांति देवी का कहना है कि शादी के वक्त उन्होंने और उनके पति ने जीवन भर की कमाई दुलारी को दहेज देने में लगा दी। कुछ समय पहले उनके पति की मृत्यु के बाद उनके दुर्दिन शुरू हो गए। एक तरफ तो कोई और आसरा न होने की वजह से उन्हें पेट पालने के लिए वृद्धावस्था में मेहनत-मजदूरी करनी पड़ रही है, दूसरी तरफ दुलारी भी उनकी दुश्मन बन गई है। शांति देवी ने बताया कि कुछ समय पहले उसने उन पर अपना मकान बेचकर पैसे देने का दबाव डालना शुरू किया तो उन्होंने इन्कार किया तो उसका मिजाज बदलना शुरू हो गया। अब वह उनसे गालीगलौज के साथ तू-तड़ाक कर बात करती है। धमकी देती है कि अगर वह ऐसे नहीं मानीं तो वह उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर कर देगी।
जब भी घर आती है, कुछ न कुछ उठा ले जाती है
शांति देवी का कहना है कि दुलारी अक्सर घर आती है लेकिन अब उनसे सीधे मुंह बात नहीं करती। इसके बजाय घर में जो भी उपयोगी चीज दिखती है, उसे उठा ले जाती है। हालत यह हो गई है कि उनके घर में अब कुछ भी नहीं बचा है। वह बमुश्किल अपना गुजारा कर रही हैं। बुढ़ापे में सिर छिपाने के लिए उनका छोटा सा मकान ही एक सहारा है, लेकिन वह उसे भी छीन लेना चाहती है। पुलिस ने शांति देवी को जांच कर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया है।
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