मसूरी से दून आ रही सरकारी बस के ब्रेक हो गए फेल, ड्राइवर ने दिखाई समझदारी; तीन महीने से तीसरी घटना

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खबर रफ़्तार: मसूरी से देहरादून आ रही उत्तराखंड परिवहन निगम की बस के ब्रेक फेल हो गए, लेकिन चालक ने सूझबूझ का परिचय देते हुए बस को पहाड़ी से टकरा दिया। जिससे बस में सवार 40 यात्रियों की जान बच गई। बुधवार शाम करीब चार बजे मसूरी के लाइब्रेरी बस स्टैंड से देहरादून के लिए रवाना हुई उत्तराखंड परिवहन निगम की बस करीब 400 मीटर आगे ही पहुंची थी कि उसके ब्रेक फेल हो गए।

चालक धीरज मुनि शाह ने सूझबूझ से बस को पदमिनी निवास होटल जाने वाले संपर्क मार्ग पर चढ़ाकर पहाड़ी से टकरा दिया। जिससे बस रुक गई और सभी सवारियों की जान बच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, इस दिनों पर्यटन सीजन है। जिस कारण हाईवे पर काफी दवाब है। अगर बस पहाड़ी से न टकराती तो हाईवे पर चल रहे कई वाहन बस की चपेट में आ सकते थे। वहीं, बस अगर रोड के बाहर पलटती तो जानमाल का नुकसान हो सकता था।

चालक धीरज मुनि शाह ने बताया कि बस का ब्रेक प्रेशर लीक हो रहा था। उन्होंने जैसे ही ब्रेक लगाए तो पैडल नीचे बैठ गया। इस पर उन्होंने बस संपर्क मार्ग पर चढ़ाकर पहाड़ी से टकरा दी। सभी सवारियां सुरक्षित हैं। उन्हें दूसरी बस से देहरादून भेजा गया। बस में सवार लुधियाना (पंजाब) के पर्यटक विक्की ने बताया कि अगर चालक बस को पहाड़ी से न टकराता तो शायद ही कोई बच पाता।

भीड़ अधिक होने पर भेज रहे खटारा बसें

दून-मसूरी मार्ग पर पर्वतीय डिपो की बसें संचालित होती हैं। पर्वतीय डिपो (मसूरी डिपो) में निगम की कुल 87 बसें हैं। इनमें सात बसें लंबी दूरी के मैदानी मार्गों की हैं। डिपो में 80 बसें पर्वतीय मार्गों की हैं। पर्वतीय डिपो की रोजाना 30 बसें मसूरी मार्ग पर संचालित होती हैं। इनमें 25 बसें केवल दून-मसूरी जबकि शेष बसें मसूरी होकर दूसरे पर्वतीय स्थलों तक जाती हैं। पर्यटन सीजन होने के कारण इन दिनों काफी भीड़ है, लिहाजा निगम प्रबंधन कार्यशाला में ऑफ रोड खड़ी बसों को भी मसूरी भेज दे रहा।

संभलकर करें उत्तराखंड की सरकारी बसों में सफर

उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में सफर संभलकर करें। ऐसा न हो कि चलती बस का स्टेयरिंग जाम हो जाए, कमानी टूट जाए या बस के ब्रेक फेल हो जाएं। ऐसा कोई दिन नहीं, जब निगम की बसें मार्ग में खराब न होती हों, लेकिन अगर पर्वतीय मार्ग पर ब्रेक फेल या तकनीकी गड़बड़ी हो जाए, तो जान का खतरा और बढ़ जाता है।

बात दून-मसूरी मार्ग की करें तो तीन माह में दूसरी बार बस के ब्रेक फेल हो गए। दोनों ही बार चालक ने समझदारी दिखाकर यात्रियों की जान बचा ली। ब्रेक फेल होने के ही कारण पिथौरागढ़ में 20 जून 2016 को निगम के चालक समेत 14 यात्रियों की मृत्यु हो गई थी। इसके बावजूद निगम प्रबंधन लगातार खटारा बसों को मार्ग पर दौड़ाकर यात्रियों की जान से खिलवाड़ कर रहा।

परिवहन निगम के पास 1305 बसें

परिवहन निगम के नियमानुसार, एक बस अधिकतम आठ वर्ष अथवा आठ लाख किलोमीटर तक चल सकती है। इसके बाद बस की नीलामी का प्रावधान है, मगर यहां ऐसा नहीं हो रहा। वर्तमान में परिवहन निगम के पास 1305 बसों का बेड़ा है। इनमें 900 बसें निगम की अपनी हैं, जबकि शेष 405 अनुबंधित हैं। चारधाम यात्रा और पर्यटन सीजन होने के कारण इन दिनों 1200 बसें आनरोड रहती हैं, जबकि बाकी विभिन्न कारणों से कार्यशाला में खड़ी रहती हैं। गत वर्ष सितंबर तक निगम की 103 बसें कंडम की श्रेणी में आ चुकी थी, लेकिन अब भी इन बसों का संचालन किया जा रहा।

ब्रेक खराब होने के बावजूद मसूरी भेज दी बस

बुधवार को मसूरी में दुर्घटना का शिकार हुई पर्वतीय डिपो की बस में चालक ने बस के ब्रेक का प्रेशर लीक होने की शिकायत की थी। इसके बावजूद इसे बुधवार को मसूरी के लिए भेज दिया गया। बताया गया कि कार्यालय से बाहर निकलने पर भी बस के ब्रेक कम लग रहे थे। मसूरी में लौटते हुए ढलान पर बस के ब्रेक का प्रेशर फिर लीक हो गया। गनीमत रही कि इस दौरान चालक ने समझदारी दिखाकर यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया।

मसूरी में तीन माह में तीसरी दुर्घटना

दून-मसूरी मार्ग पर तीन माह में यह तीसरी बड़ी घटना है, जब परिवहन निगम की बस दुर्घटना का शिकार बनी हो। बीती 16 मार्च को भी 35 यात्रियों की जान उस समय बाल-बाल बच गई थी, जब मसूरी से देहरादून आ रही पर्वतीय डिपो की बस के मसूरी से एक किमी दूरी पर ब्रेक फेल हो गए थे। गनीमत रही कि चालक ने सूझबूझ का परिचय देकर बस को पहाड़ी से टकरा दिया था, जिससे बस रुक गई और बड़ी दुर्घटना टल गई थी। इसके बाद दो अप्रैल को बेलगाम गति से मसूरी से दून आ रही निगम की बस खाई में गिर गई थी, जिसमें दो यात्रियों की मौत जबकि 38 घायल हो गए थे। अब बुधवार को फिर बस के ब्रेक हो गए।

जांच है जारी

उत्तराखंड परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने कहा कि मसूरी में बस के ब्रेक होने के कारणों की तकनीकी जांच कराई जा रही है। ब्रेक की खराबी थी या फिर कोई दूसरा कारण, यह जांच के बाद ही सामने आ पाएगा। निगम कार्यालय से जांच के बाद ही बसें मार्ग पर भेजी जाती हैं।

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