ख़बर रफ़्तार, उत्तरकाशी: पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल की तरह तंत्र भी सतर्क होता तो वरुणावत पर्वत पर धधकी आग बेकाबू नहीं होती। इस आग ने भले ही जंगल के बड़े हिस्से को राख कर दिया हो, लेकिन प्रताप की सतर्कता व मेहनत और क्यूआरटी की सक्रियता के कारण वरुणावत की तलहटी में 15 हेक्टेयर में फैले श्याम स्मृति वन को खास नुकसान नहीं पहुंचा पाई।
प्रताप ने मार्च से 25 मई के बीच इस वन में तीन बार चीड़ के पिरुल एकत्र कर हटाए। यही वजह रही कि बुधवार रात वरुणावत के जंगल में लगी आग श्याम स्मृति वन तक तो पहुंची, मगर विकराल होने से पहले ही नियंत्रित कर ली गई। पिरुल आग को फैलाने में बारूद का काम करता है।
प्रताप पोखरियाल वर्ष 2003 से रोप रहे पौधे
वरुणावत की तलहटी में प्रताप पोखरियाल वर्ष 2003 से पौधे रोप रहे हैं। इस वन में 10 लाख से अधिक पेड़-पौधे और विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियां हैं। प्रताप का पूरा दिन इसी वन में बीतता है। प्रताप बताते हैं कि बुधवार शाम जब वरुणावत के जंगल में आग लगने की सूचना मिली तो वह बेहद चिंतित हो गए। रात करीब 10 बजे आग श्याम स्मृति वन के निकट पहुंच गई, लेकिन प्रताप पहले ही आग को नियंत्रित करने में जुट गए थे।
कुछ देर बाद बाड़ाहट रेंज से वन विभाग के कर्मचारी भी पहुंच गए। क्यूआरटी के साथ मौके पर गए जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल भी आग बुझाने में जुटे रहे। जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रेम पोखरियाल, व्यापारी नेता विष्णुपाल सिंह रावत ने भी सहयोग किया। सुबह चार बजे तक आग पर नियंत्रण पा लिया गया, लेकिन तब तक 100 से अधिक पौधे जल चुके थे।
प्रताप पोखरियाल ने बताया कि वरुणावत की चोटी से जलती हुई चीड़ की छेती कई स्थानों पर गिरी, जिससे श्याम स्मृति वन में आग फैली। कहा कि उन्होंने पिछले तीन माह में तीन बार श्याम स्मृति वन क्षेत्र से पिरुल को एकत्र कर हटाया। इसी तैयारी के कारण वन में बड़ा नुकसान होने से बच गया।
+ There are no comments
Add yours