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Saturday, July 27, 2024
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भाजपा में शामिल हुए रितेश पांडेय, आज ही अंबेडकर नगर सीट से सांसद ने बसपा से दिया था इस्तीफा

ख़बर रफ़्तार, लखनऊ:  लोकसभा चुनाव के पहले बसपा के अंबेडकर नगर से सांसद रितेश पांडेय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उनके पार्टी छोड़ने की बातें काफी समय से हो रही थीं। इस्तीफे के बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली है। भाजपा मुख्यालय में उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की मौजूदगी में भाजपा ज्वाइन कर ली। उनके इस्तीफा देने के पहले ही ऐसी अटकलें लग रहीं थीं कि वह बीजेपी में जा सकते हैं। उधर मायावती ने अपने बयान में यह इशारा किया है कि पार्टी इस बार उनका टिकट काटने जा रही थी।

कई दिनों से चली आ रही अटकलों के बीच बसपा सांसद रितेश पांडेय ने रविवार को पार्टी छोड़ दी। उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती को भेजे पत्र में कहा कि लंबे समय से न तो पार्टी की बैठकों में बुलाया जा रहा है और न ही नेतृत्व स्तर से कोई संवाद हो रहा है। कहा कि मैने आपसे और वरिष्ठ पदाधिकारियों से वार्ता के बहुत प्रयास किए लेकिन परिणाम नहीं निकला। पार्टी को मेरी सेवाओं की जरूरत अब नहीं है। पार्टी से नाता तोड़ने का निर्णय भावनात्मक रूप से कठिन है लेकिन अब कोई और विकल्प भी नहीं है।
रितेश ने आग्रह किया कि तत्काल प्रभाव से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए। बताते चलें कि बीते विधानसभा चुनाव में रितेश के पिता पूर्व सांसद राकेश पांडेय ने बसपा छोड़कर सपा ज्वॉइन कर लिया था। वे सपा के टिकट पर जलालपुर से विधायक भी चुन लिए गए। इसी घटनाक्रम के बाद बसपा प्रमुख रितेश से भी नाराज चल रही थीं। उन्हें पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया। नतीजा यह हुआ कि पार्टी के कार्यक्रमों आदि से भी उनकी दूरी बन गई। अब रितेश के बीजेपी में शामिल होने की खबर है। बीते दिनों पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें लंच पर भी आमंत्रित किया था।

मायावती ने दी प्रतिक्रिया

Lok Sabha elections: BSP MP from Ambedkar Nagar Ritesh Pandey resigns, speculation of joining BJP
रितेश पांडेय के पार्टी छोड़ने के फैसले पर मायावती ने प्रतिक्रिया दी है। बिना नाम लिया उन्होंने लिखा कि क्या आप बसपा की कसौटी पर खरे उतरे? क्या आपने अपने लोकसभा क्षेत्र का ध्यान दिया? क्या आपने अपना पूरा समय क्षेत्र को दिया? क्या आपने पार्टी के समय-समय पर दिए गए निर्देशों का सही से पालन किया। ऐसे में क्या सासंदों का टिकट फिर से दिया जाना संभव है। ऐसे में स्वाभाविक है कि अपने स्वार्थ में इधर-उधर भटकते नजर आएंगे।
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