ख़बर रफ़्तार, विकासनगर: कालसी स्थित अशोक शिलालेख में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से पहुंचे बौद्ध अनुयायियों ने अशोक शिलालेख की ‘बुद्धं शरणं गच्छामि’ वंदना करते हुए परिक्रमा की. गौतम बुद्ध ने जो बातें कहीं, वह सब चीजों का निचोड़ भी कालसी स्थित शिलालेख में निहित है.
उत्सव मेला समिति के संयोजक जगदीश सिंह कुशवाहा ने कहा कि साल 257 में लिखा गया था कि कलिंग युद्ध के बाद अशोक बहुत दुखी थे कि जो चीज हम दे नहीं सकते हैं, उसको लेने का अधिकार हमको नहीं है. अशोक बहुत दिनों से विचार करते-करते अपने भाई के संपर्क में आए और बुद्ध की धर्म की बातों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने लड़ाई के बल पर युद्ध जीतने की जगह धर्म विजय की बात कही.
पूर्व कैबिनेट मंत्री धर्म सिंह सैनी ने कहा कि महात्मा गौतम बुद्ध के जिस दिन जन्मदिन होता है, उसी दिन ही उनका देहांत हुआ था. उनके देहांत को परी निर्माण दिवस के रूप में मनाते हैं. कालसी में गौतम बुद्ध का आठवां शिलालेख है, उसकी आराधना करने और बुद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए भगवान बुद्ध को मानने वाले लोग यहां आते हैं. उन्होंने कहा कि इस उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. इसी क्रम में आज भी यह कार्यक्रम रखा गया था.
बौद्ध उत्सव मेला समिति के सदस्य रविंद्र सैनी ने कहा कि 15 वर्षों से यहां लगातार बौद्ध उत्सव मेला समिति द्वारा मेले का आयोजन किया जा रहा. जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से जनप्रतिनिधि पहुंचते हैं. ऐसे में सरकार से हमारी यही मांग है कि यह ऐतिहासिक स्थल है, इसलिए इसे प्रदेश और केंद्र सरकार पर्यटक स्थल घोषित करे, ताकि इससे प्रदेश सरकार की भी आय में वृद्धि हो और लोगों को रोजगार मिलेगा.
उत्तराखंड सरकार के दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री श्याम वीर सैनी ने कहा पूरे देश में अनेकों शिलालेख हैं, उनमें से यह शिलालेख भी बहुत महत्वपूर्ण है. समिति ने डिमांड की है, कि इस स्थान को पर्यटन स्थल घोषित किया जाए और यहां पर एक गेट बनाया जाए. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और मुख्यमंत्री से निवेदन करेंगे की समिति की मांग जल्द से जल्द पूरी की जाए.
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