ख़बर रफ़्तार, बटाला: अब महिलाएं खेतों में फसल और फलदार पेड़ों पर ड्रोन से दवाइयों की स्प्रे करेंगी। ड्रोन के माध्यम से जहां खेतों में स्प्रे का खर्च बचेगा, वहीं समय और पानी की बचत तो होगी ही।
छह दिन पहले ही यहां यह ट्रेनिंग शुरू की गई है। यह ड्रोन खरीदने के लिए सरकार की तरफ से विभिन्न कैटेगिरी के लिए सब्सिडी भी दी जा रही है। महिलाओं के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 40 प्रतिशत सब्सिडी, बीएससी एग्रीकल्चर करने वालों के लिए 50 प्रतिशत और सेल्फ हेल्प ग्रुप के लिए 70 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
हिसार में ली थी 11 दिन की ट्रेनिंग
रूपोवाल में ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग ले रही सिमरन कौर, इंद्रजीत कौर, जसबीर कौर, जगदीप कौर, जगजीत कौर, गुरबक्श कौर ने बताया कि उन्होंने हिसार में ड्रोन की बेसिक जानकारी लेने की 11 दिन की ट्रेनिंग ली थी। उसमें ड्रोन के कलपुर्जों की जानकारी और अन्य कई अहम जानकारियों दी गईं।
अब डीजीआइ (डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन) की तरफ से उन्हें ड्रोन उड़ाने के लिए लाइसेंस मिल चुका है। इस बार धान की फसल के दौरान वे अपने खेतों में तो स्प्रे कर फायदा उठाएंगी ही साथी इलाके में अन्य किसानों के खेतों में स्प्रे करने के लिए करीब 500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पैसे कमाकर परिवार का साथ देंगी।
ड्रोन की खासियत
वाव गो ग्रीन कंपनी के ड्रोन ट्रेनर खुशवीर ने बताया खेतों में स्प्रे करने के लिए बने इस ड्रोन की कीमत करीब सात लाख रुपये है। यह ड्रोन करीब 30 किलो भार उठा सकता है और इसमें लगे टैंक में 10 लीटर दवाई और पानी का मिश्रण डालकर एक मिनट में एक एकड़ में मात्र पांच से सात मिनट में स्प्रे हो जाती है।
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इससे 70 प्रतिशत पानी, 25 प्रतिशत दवा के साथ समय की बचत होती है। साथ ही इंसान इसे एक किलोमीटर दूर बैठ कर स्प्रे कर सकता है। इस कारण उसके शरीर पर इसका प्रभाव नहीं होता है। ड्रोन की 1600 एमएचए वाली बैटरी करीब दो से अढ़ाई एकड़ पर स्प्रे कर सकती है। यह बैटरी करीब 50 मिनट में चार्ज होती है।
कोई भी ले सकता है ट्रेनिंग
इस ड्रोन को उड़ाने की ट्रेनिंग कोई भी ले सकता है। हालांकि किसानों, सेल्फ हेल्प ग्रुप और बीएससी एग्रीकल्चर कर चुके लोगों के लिए यह ट्रेनिंग फ्री है, लेकिन दूसरे व्यक्ति जो दसवीं पास हो उसे ट्रेनिंग के लिए 25 हजार रुपये देने होंगे तभी उसे डीजीआइ की तरफ से ड्रोन उड़ाने के लिए लाइसेंस मिल सकता है।
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