ख़बर रफ़्तार,नैनीताल: हाई कोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट करने के कैबिनेट के फैसले से नैनीताल शहर के हाई कोर्ट के अधिवक्ता आक्रोशित हो गए हैं। उन्होंने गुरुवार को राज्य कैबिनेट के फैसले के विरोध में बैठक की और बैठक के बाद उच्च न्यायालय के गेट नंबर सात के बाहर धामी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए पुतला फूंका।
अधिवक्ताओं को नहीं लिया विश्वास में
गुरुवार को आयोजित बैठक में अधिवक्ता योगेश पचौलिया ने कहा कि राज्य सरकार का एकमात्र पहाड़ स्थित संस्थान को तराई में शिफ्ट करने का फैसला बिना अधिवक्ताओं को विश्वास में लिया गया है, जिसका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन पुरजोर विरोध करती है। अधिवक्ता मजबूती से लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।
पहाड़ से पलायन बढ़ाएगी सरकार का यह फैसला
बार एसोसिएशन पूर्व सचिव डीएस मेहता ने कहा कि सरकार का यह निर्णय पलायन को और बढ़ावा देगा। अभी तक पहाड़ से 30 लाख लोग पलायन कर चुके है और 1000 गांव बंजर हो चुके है। जहां सरकार एक ओर पलायन नीति बनाती है, दूसरी ओर सरकार लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर कर रही है। पहाड़ से प्रदेश की न्यायिक राजधानी को शिफ्ट करना गलत है। पूर्व सांसद महेंद्र से पाल ने कहा कि हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं, इसकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। सरकार ने इसके लिए किसी से पूछा तक नहीं, यहां तक कि अपने विधायकों से भी न हीं।
फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे
राज्य आंदोलनकारी रमन कुमार साह ने कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय को कानूनी तौर पर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे। राज्य सरकार जितना पैसा उच्च न्यायालय को शिफ्ट करने में लगा रही है, अगर उसका कुछ हिस्सा इसकी सुविधाओं में खर्च करती तो यह उच्च न्यायलय देश-विदेश में प्रदेश का नाम और आगे बढ़ाता। गर्मी, जाड़ा, वर्षा, भूस्खलन, आपदा व भूकंप यह सरकार के हाथ में नहीं है कि जो हल्द्वानी में न आए। एक बार फिर से राज्य आंदोलन की तरह इसकी भी लड़ाई लड़ने को हम तैयार है। अगर सरकार की नीयत साफ होती तो न्यायलय में स्वीकृत न्यायाधीशों के पदों पर नियुक्ति करते, जिससे वादकारियों को समय पर न्याय मिल जाता। सरकार की सोच पहाड़ विरोधी है।
गैरसैण में बने स्थायी राजधानी
डीके जोशी ने कहा कि राज्य सरकार अस्थायी राजधानी को पूर्ण रूप से गैरसैण में स्थापित करें। यह जनता के पैसों का दुरुपयोग है। अन्य अधिवक्ताओं ने भी अपने अपने विचार इसके विरोध में रखे। हाई कोर्ट को शिफ्ट नहीं करने को लेकर राष्ट्रपति व चीफ जस्टिस आफ इंडिया को भी ज्ञापन भेजा गया।
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