Jharkhand: सिंदूर खेला की रौनक के साथ मां दुर्गा की विदाई, माहौल हुआ भावुक

खबर रफ़्तार, रांची: महिलाओं ने कहा कि मां हर साल हम सबके लिए खुशियां और समृद्धि लेकर आती हैं। विदाई का दुख जरूर है, लेकिन इस विश्वास के साथ मां को विदा कर रहे हैं कि अगले साल वह पुनः आएँगी और हम सबको आशीर्वाद देंगी।

विजयादशमी का पर्व केवल बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक नहीं, बल्कि मां दुर्गा के विदाई का दिन भी माना जाता है। इस अवसर पर बंगाली समुदाय की महिलाओं द्वारा परंपरागत ढंग से सिंदूर खेला की रस्म निभाई गई। राजधानी रांची के दुर्गाबाड़ी दुर्गा स्थान, कोकर, बारीडीह, अपर बाजार, लालपुर और शहर के अन्य प्रमुख पूजा पंडालों में मंगलवार को महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था।

सुहागिन महिलाएं परंपरागत सफेद साड़ी में लाल बॉर्डर पहनकर पूजा पंडाल पहुंचीं। उनके हाथों में थाल सजाए गए थे, जिसमें सिंदूर, मिठाई और पूजा की सामग्री रखी हुई थी। सबसे पहले महिलाओं ने मां दुर्गा की प्रतिमा को सिंदूर अर्पित किया और फिर एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सौभाग्य और समृद्धि की मंगलकामना की। इस दौरान पूरे मंडप में “जय माँ दुर्गा” और ढाक-ढोल की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो उठा।
रांची के साथ-साथ हजारीबाग शहर के झंडा चौक स्थित बंगाली दुर्गा मंडप में भी हर साल की तरह इस बार सिंदूर खेला का आयोजन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। यहां सुबह से ही महिलाओं और श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। मां दुर्गा की विदाई के क्षण आते ही महिलाएं भावुक हो उठीं। कई महिलाएं एक-दूसरे को गले लगाकर आंसू पोंछती दिखीं।

सिंदूर खेला के दौरान महिलाओं ने एक-दूसरे के चेहरे पर सिंदूर लगाकर यह संदेश दिया कि माँ दुर्गा हर घर में सुख, सौभाग्य और शांति बनाए रखें। परंपरा के अनुसार महिलाओं ने जीभ से आवाज निकालकर लुडी बजाई और देवी के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा प्रकट की। वातावरण में एक ओर जहाँ उत्साह और आनंद झलक रहा था, वहीं दूसरी ओर विदाई का दुख भी स्पष्ट दिखाई दे रहा था।

महिलाओं ने कहा कि माँ हर साल हम सबके लिए खुशियां और समृद्धि लेकर आती हैं। विदाई का दुख जरूर है, लेकिन इस विश्वास के साथ मां को विदा कर रहे हैं कि अगले साल वह पुनः आएँगी और हम सबको आशीर्वाद देंगी। विजयादशमी पर आयोजित इस परंपरागत सिंदूर खेला ने न सिर्फ महिलाओं को सांस्कृतिक रूप से एक मंच पर जोड़ा, बल्कि पूरे वातावरण को भक्ति और आस्था से सराबोर कर दिया। माँ दुर्गा की विदाई के साथ ही एक बार फिर लोगों ने यही कामना की “माँ अगले बरस जल्दी आना।”

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