खबर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड में खनिज व उप खनिज के सुरक्षित तरीके से दोहन के लिए सभी जिलों के राजस्व क्षेत्रों में 150 से अधिक नए खनन क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं। शासन ने अब सभी जिलों को इन नए क्षेत्रों में विधि मान्य रूप से खनन कराने के लिए पट्टों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
खनन से 825 करोड़ रुपये राजस्व वसूली का लक्ष्य
प्रदेश सरकार खनन से राजस्व बढ़ाने की दिशा में लगातार कदम उठा रही है। गत वर्ष प्रदेश सरकार ने खनन से 825 करोड़ रुपये के राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा था। इसके सापेक्ष विभाग केवल 472 करोड़ रुपये ही वसूल कर पाया। इस वर्ष यह लक्ष्य बढ़ाकर 875 करोड़ रुपये रखा गया है। इस लक्ष्य को पूरा करना आसान नहीं है। खनन की कम राजस्व वसूली पर असंतोष जता मुख्य सचिव भी विभाग को इसे बढ़ाने के निर्देश दे चुके हैं।
प्रदेश में गंगा नदी में खनन बंद
प्रदेश में खनिज व उप खनिज का प्रमुख स्रोत रही गंगा नदी में खनन बंद है। बीते वर्ष गौला नदी में भी खनन कार्य प्रभावित रहा। इससे खनन से अपेक्षित आय नहीं हो सकी। पर्वतीय क्षेत्र होने के नाते उत्तराखंड में मुख्य खनिज एवं उप खनिज प्रचुर मात्रा हैं। इनमें लाइम स्टोन, बेसमेंटल (सोना, चांदी, लेड इत्यादि) तथा उप खनिज में सोप स्टोन, सिलिका सैंड, बालू, बजरी, बोल्डर आदि पर्याप्त मात्रा में हैं।
150 से अधिक नए खनन क्षेत्र किए गए चिह्नित
इनका अगर वैज्ञानिक तरीके से दोहन किया जाता है तो यह राजस्व वृद्धि का बड़ा माध्यम बन सकता है। ऐसे में शासन ने सभी जिलाधिकारियों को नए निजी खनन क्षेत्र चिह्नित करने के निर्देश दिए थे। शासन को मिली रिपोर्ट के अनुसार अब तक 150 से अधिक नए क्षेत्र चिह्नित किए जा चुके हैं।
वन विकास निगम को भी दिए नए क्षेत्र चिह्नित करने के निर्देश
सचिव औद्योगिक विकास (खनन) डा पंकज कुमार पांडेय का कहना है कि सभी जिलाधिकारियों से कहा गया है कि वह इन नए क्षेत्रों को आवंटित करने की प्रक्रिया जल्द शुरू करें, ताकि आमजन को निर्माण सामग्री की कमी न हो।
सचिव औद्योगिक विकास ने बताया कि राजस्व क्षेत्रों की भांति अब वन विकास निगम को भी नए क्षेत्र चिह्नित करने को कहा गया है, जिससे खनन से राजस्व को बढ़ाया जा सके।
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