ख़बर रफ़्तार, बरेली: सुन्नी मुसलमानों के बरेलवी मसलक से ताल्लुक रखने वाले मौलाना तौकीर रजा खां आला हजरत खानदान से आते हैं। वह आला हजरत दरगाह के प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां उर्फ सुब्हानी मियां के सगे भाई हैं। इनके भतीजे मुफ्ती अहसन रजा खां दरगाह के सज्जादानशीन हैं। राजनीति में कदम रखने वाले तौकीर अपने परिवार के पहले सदस्य नहीं हैं। इनके पिता हजरत रेहान रजा खां कांग्रेस के एमएलसी रहे थे।
धर्म के साथ राजनीति में भी दिलचस्पी रखने वाले मौलाना तौकीर ने सन 2000 में राजनीतिक दल इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल की स्थापना की थी। शुरुआत में नगर निकाय चुनाव में पूरे जिले में प्रत्याशी उतारे और 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। वर्ष 2009 में मौलाना कांग्रेस के पाले में चले गए। 2010 में बरेली में हुए दंगों में पुलिस ने तौकीर रजा को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया था। वर्ष 2012 में तौकीर रजा ने पाला बदलकर सपा से समझौता कर लिया था। इनकी पार्टी के टिकट पर 2012 में शहजिल इस्लाम ने भोजीपुरा से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।
सपा ने मौलाना तौकीर रजा को दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री भी बनाया था, मगर कुछ महीने बाद मुजफ्फरनगर दंगे हो गए और उनका राज्यमंत्री का पद वापस ले लिया गया। इसके बाद उन्होंने सपा से इस्तीफा दे दिया। वह आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल से मिले और दिल्ली में उनका प्रचार किया। बसपा के संपर्क में भी रहे। साल 2015 में उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जदीद) का गठन किया।
विवादित बयान देने के लिए हैं चर्चित
ज्ञानवापी मामले पर हाल में ही उन्होंने कहा था कि मुस्लिम युवा सड़क पर उतर आए तो गृहयुद्ध हो जाएगा और फिर मैं भी नहीं रोक पाऊंगा। इसी तरह पिछले एक दशक में उन्होंने खुले मंच से कई बार विवादित बयान दिए। हाल में ही अयोध्या मामले पर भी कहा था कि उसमें तो हम सब्र कर गए, मगर अब नहीं करेंगे। यदि सरकार हर मस्जिद को मंदिर बनाने पर तुली रही तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। लेखिका तस्लीमा नसरीन पर भी विवादित बयान देकर घिरे थे। उन पर फतवा जारी किया था।
हाल में ही उन्होंने बरेली में जेल भरो आंदोलन का एलान किया था और अपनी गिरफ्तारी देने के लिए सड़क पर उतरे थे। उनके आह्वान पर हजारों की तादाद में भीड़ जुटी थी। इस दौरान उन्होंने हल्द्वानी हिंसा को लेकर विवादित बयान दिया। कहा था कि हमें मजबूर कर दिया गया है। मुल्क में नफरत का माहौल बनाया हुआ है। मौलाना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अगर संज्ञान नहीं ले रहा है तो हम अपनी हिफाजत खुद करेंगे। हमें कानूनी अधिकार है कि अगर कोई हम पर हमलावर होता है तो उसे जान से मार दें।
बवाल के दूसरे दिन फिर दिया विवादित बयान
शुक्रवार शाम को श्यामगंज में हुए बवाल के बाद उन पर आरोप लग रहे हैं कि उनके भड़काऊ बयान से यह घटना हुई। बवाल के दूसरे दिन शनिवार को उन्होंने फिर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि मेरे लोगों पर हिंदू आतंकवादियों ने पत्थर चलाए मगर मुकदमा हम पर लिखा जा रहा है। यदि पुलिस ने ठीक से जांच कर पत्थर चलाने वालों को नहीं पकड़ा तो मैं फिर धरने पर बैठूंगा, गिरफ्तारी दूंगा। यह पुलिस भी खुद को साबित करे कि वह ईमानदारी से काम करते हैं या सरकार के दबाव में बेईमानी करते हैं।
जब मांगनी पड़ी थी माफी
तौकीर रजा ने दस साल पहले देश की सभी मसलकों को एकजुट कर एक मंच पर लाने की कोशिश शुरू की थी। इस दौरान वह देवबंद मरकज पर गए थे। इस पर आला हजरत दरगाह ने उनका विरोध किया था। सुब्हानी मियां ने उन्हें लेकर फतवा भी जारी कर दिया था। बाद में तौकीर के माफी मांगने पर मामला शांत हुआ था। हालांकि, इसके कुछ दिनों बाद ही तौकीर ने देवबंदी मुसलमानों द्वारा भेदभाव का दावा करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से अलग ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जदीद) की स्थापना की है और वर्तमान में इसके प्रमुख भी हैं।
शुक्रवार को सुब्हानी मियां ने दिया था समर्थन
आमतौर पर पिछले एक दशक में मौलाना तौकीर के कार्यक्रमों को दरगाह से खुला समर्थन मिलता नहीं दिखाई दिया, मगर शुक्रवार को जब तौकीर रजा ने गिरफ्तारी देने का एलान किया तो दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां भी उनके समर्थन में उनके घर पहुंचे। बता दें कि पांच भाइयों में सुब्हानी मियां सबसे बड़े व तौकीर तीसरे नंबर पर हैं।
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