हरिद्वार सीट पर कम मतदान से चर्चाओं का बाजार गर्म, चुनावी विश्लेषक भी उलझे

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ख़बर रफ़्तार, हरिद्वार: मतदान की समाप्ति के बाद प्रत्याशियों के समर्थक हार-जीत पर माथापच्ची करने में जुटे हुए हैं। 18वीं लोकसभा के लिए हरिद्वार सीट पर कम मतदान प्रतिशत ने भी चुनावी विश्लेषकों को भी उलझा दिया है।

इस बार हरिद्वार लोकसभा सीट पर 63.37 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया। इस सीट पर वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 71.63 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि, 2019 में हुए चुनाव में यह घटकर 66.24 रह गया।

कम मतदान रहा सर्वाधिक चर्चा का विषय

शनिवार को आम मतदाता से लेकर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, विश्लेषकों के मध्य कम मतदान सर्वाधिक चर्चा का विषय बना रहा। इसके मद्देनजर सभी संभावित परिणाम को लेकर अपने-अपने हिसाब से गुणा-भाग करते रहे।

प्रत्याशियों की टक्कर की रही चर्चा

किसी को भाजपा आगे निकलती नजर आई तो कोई कांटे की टक्कर का आंकलन करता दिखा। भाजपा विधायकों वाले क्षेत्र में कम मतदान होने पर कुछ का आकलन कांग्रेस के पक्ष में जाता दिखा। इसके इतर बसपा और निर्दलीय उमेश कुमार के समर्थक कम मतदान प्रतिशत को अपनी जीत सुनिश्चित होने का दावा करते रहे।

चर्चा में रहा हरिद्वार का मतदान प्रतिशत

वहीं, निर्वाचन के एप पर हरिद्वार संसदीय सीट पर मतदान का प्रतिशत पहले 59.73 और बाद में 63.57 प्रतिशत होना भी चर्चा का विषय रहा। कुछ विधानसभाओं में तो यह 10 प्रतिशत तक बढ़ गया।

सील किए स्ट्रांग रूम

जिले में शांतिपूर्ण मतदान संपन्न कराने के बाद शनिवार को केंद्रीय विद्यालय के प्रेक्षक कक्ष में सामान्य प्रेक्षक लोचन सेहरा ने जिला निर्वाचन अधिकारी धीराज सिंह गब्र्याल की उपस्थिति में विधानसभावार स्क्रूटनी की। विधानसभावार सबसे अधिक और सबसे कम मतदान वाले बूथों के पीठासीन अधिकारी की डायरी की स्क्रूटनी की। साथ ही उन्होंने क्रिटिकल और वर्नेबल बूथों की भी रेंडमली स्क्रूटनी की।

स्क्रूटनी में सभी सूचनाएं तथा प्रक्रियाएं सही पायी गयी। प्रेक्षक लोचन सेहरा और जिला निर्वाचन अधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने शांतिपूर्ण और निर्बाध मतदान संपन्न कराने को सभी सहायक रिटर्निंग आफीसरों को बधाई दी। सभी एआरओ द्वारा प्रत्याशी और उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अपने-अपने सभी स्ट्रांग रूम सील किए गए।

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