लोकसभा चुनाव: …तो अकेले पड़ गए अरविंद केजरीवाल! लोकसभा चुनाव में AAP के सामने ये बड़ी चुनौती

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ख़बर रफ़्तार, नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए यह लोकसभा चुनाव प्रचार के मामले में सबसे चुनौतीपूर्ण हो गया है। पिछले लोकसभा चुनाव तक पार्टी के पास जिन स्टार प्रचारकों की लंबी लिस्ट होती थी, वह इस बार नहीं है। पार्टी के बड़े चेहरों में शामिल पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व राज्यसभा संजय सिंह जेल में हैं। खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है।

AAP का तनाव बढ़ रही ED

लगातार समन भेज रही ईडी आम आदमी पार्टी का तनाव बढ़ा रही है। ऐसे हालातों में आप फूंक-फूंक कदम रख रही है। आप सभी आशंकाओं को देखते हुए आगे बढ़ रही है। हालांकि आप के पास केजरीवाल के अलावा भगवंत मान, संदीप पाठक जैसे नेता मौजूद हैं, जो चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

जमीनी स्थिति की बात करें तो आबकारी घोटाले मामले में मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के जेल में हाेने के बाद केजरीवाल चुनाव प्रचार में अकेले पड़ गए हैं। ईडी के समन व कोर्ट की टिप्पणी से केजरीवाल की मुश्किल भी बढ़ रही है। इससे भी पार्टी के सामने की चुनौती। इधर राघव चड्ढा पहले की तरह सक्रिय नहीं दिख पा रहे हैं।

दिल्ली में ये दो नेता सक्रिय

भगवंत मान को लेकर केजरीवाल दूसरे राज्यों में प्रचार करते रहे हैं। मान के लिए पंजाब में सभी सीटों पर चुनाव प्रचार की भी बड़ी जिम्मेदारी रहेगी। ले देकर आप के पास दिल्ली में केजरीवाल के अलावा आतिशी और सौरभ भारद्वाज जैसे नेता हैं, जो दिल्ली की राजनीति से लेेकर राष्ट्रीय मुद्दों तक हर मंच पर आगे खड़े दिख रहे हैं। पार्टी में संदीप पाठक ऐसा नाम हैं, जो पर्दे के सामने की जगह पर्दे के पीछे ही ज्यादा काम करते रहे हैं।

हालांकि, पिछले कुछ समय से पार्टी के मंच पर सक्रियता दिखा रहे हैं। हवाला मामले में जेल में बंद पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन की भले ही पार्टी के बड़े चेहरा के रूप में पहचान न हो, मगर पिछले लोकसभा चुनाव तक वह दूसरे राज्यों में पार्टी के लिए जनसभाओं को संबोधित करते रहे हैं। इससे भी पार्टी को मदद मिलती रही है।

AAP के लिए अलग है ये चुनाव

बहरहाल पिछले चुनावों की बात करें तो आप अभी तक तक दो लोकसभा चुनाव लड़ी है, 2014 और 2019 के बाद अब 2024 तीसरा चुनाव है। 2014 में केजरीवाल स्वयं बनारस जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने चुनाव लड़े थे। मगर हार जाने के बाद उन्होंने 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है। अगर हम 2014 के लोकसभा चुनाव का जिक्र करें तो अब आप भले ही राष्ट्रीय पार्टी बन गई है।

मगर पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने वाले कई नेता पार्टी से बाहर हो गए हैं या बाहर कर दिए हैं। इसमें बड़े नेताओं में अंतिम बार 2018 में पार्टी छाेड़ने वालों में अंतिम नेता आशीष खेतान रहे हैं। इससे कुछ समय पहले ही आशुतोष ने आप छोड़ दी थी। ये दाेनों नेता विषय पर रिसर्च कर बात रखने वाले नेता थे, इनकी बात में गंभीरता होती थी और लोग इनकी बात को ध्यान से सुनते थे। कुमार विश्वास भी आप से दूरी बना चुके हैं।

कई नेता पार्टी का छोड़ चुके साथ

इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 2015 में दिल्ली में पार्टी की सरकार बनने के बाद विवाद हो जाने पर सबसे पहले आप के संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण को पार्टी से निकाल दिया गया था और शाजिया इल्मी ने पार्टी से नाता तोड़ लिया था। इसके बाद पार्टी के गंभीर चेहरों में से एक प्रो. आनंद कुमार ने पार्टी से पूरी बना ली थी। 2014 में शाजिया इल्मी ने गाजियाबाद और प्रो कुमार ने दिल्ली की उत्तरी पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा था।

आप से पूर्व विधायक विनोद बिन्नी और पूर्व कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा ने भी आप से बगावत कर दी थी और इन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था। प्रशांत भूषण के पिता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने आप की स्थापना के समय एक करोड़ की राशि चंदे के रूप में दी थी। हालांकि जल्द ही उनका भी पार्टी से मोहभंग हो गया था और वो आम आदमी पार्टी से अलग हो गए थे।

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वैसे इन नेताओं के बाहर हो जाने के बाद पार्टी आगे बढ़ी है। आज दो राज्यों में आप की पूर्ण बहुमत की सरकार है। गुजरात और गोवा में आप के विधायक हैं, दिल्ली, चंडीगढ़ और मध्यप्रदेश में आप की मेयर हैं। मगर पहले के चार की जगह लाेकसभा सांसद एक बचे हैं।

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