उत्तराखंड के जंगल में बाघ को अमेरिकन ट्रैंकुलाइजर गन से विभाग के लिए पकड़ना आसान

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ख़बर रफ़्तार, रामनगर : कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) अब बाघों को रेस्क्यू करने के लिए अमेरिका में निर्मित उच्च तकनीक की ट्रैंकुलाइजर गन उपयोग में ला रहा रहा है। भारत निर्मित गन से अमेरिकन न्यू डर्ट गन एक्स कैलिबर की मारक क्षमता दोगुनी यानी 80 मीटर से अधिक है। यह गन बाघ को बेहोश करने के लिए काफी उपयोगी मानी जा रही है।

कार्बेट नेशनल पार्क व उसके आसपास का वन क्षेत्र बाघों का गढ़ है। यहां बाघों की संख्या भी काफी अच्छी है। ऐसे में आबादी क्षेत्र घुसने, आदमखोर होने या दूसरे क्षेत्र में भेजे जाने के लिए बाघ को रेस्क्यू किया जाता है। बाघ को पकड़ने के लिए अभी तक सीटीआर के पास भारत में निर्मित ट्रैंकुलाइजर गन ही थी। जिसकी मारक क्षमता 30 से 40 मीटर रहती है।
यूएसए निर्मित ट्रैंकुलाइजर गन खरीदी

अब विभाग ने यूएसए निर्मित ट्रैंकुलाइजर गन खरीदी है। इस गन की मारक क्षमता 70-80 मीटर है। हालांकि कंपनी सौ मीटर तक मारक क्षमता का दावा करती है। इसमें लगे टेलीस्कोप से निशाना लगाने में आसानी रहती है।

इस गन से पशु चिकित्साधिकारी दुष्यंत शर्मा अब तक पांच बाघ पकड़ चुके हैं। इसमें प्रयोग होने वाली सुई भी बेहतर क्वालिटी की है। पहले सुई बाघ को लगती थी तो वह कभी-कभार उसे मुंह से निकालकर फेंक देता था। नई गन से सौ प्रतिशत दवा की डिलीवरी बाघ के शरीर में हो रही है। इसलिए विभाग के लिए फायदेमंद विभाग के लिए यह गन काफी फायदेमंद है।

इसमें प्रयोग होने वाली सुई अच्छी बेहतर क्वालिटी की है तो बाघ भी आसानी से पकड़ा जाता है। पहले सुई बाघ को लगती थी तो वह उसे मुंह से निकालकर फैंक देता था। कई बार पता नहीं लगता था कि सुई लगने के बाद उसकी दवा बाघ के शरीर में गई या नहीं। नई गन से सौ प्रतिशत दवा की डिलीवरी बाघ के शरीर में हो रही है। इस गन से सुई लगी है तो सौ प्रतिशत दवा बाघ के शरीर में गई है।

ऐसे खरीदी जाती है गन

कई संस्थाएं गन को आयात करती है। भारत सरकार का जेएम पोर्टल गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस से आनलाइन टेंडर के माध्यम से इसे खरीदा गया है। वेबसाइट में टेंडर डालना पड़ता है। उसके बाद संस्थाएं अपने अपने रेट डालते हैं। जिसका सही रेट होता है उससे खरीदा जाता है। काफी अच्छी तकनीक की गन है।

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