सूचना आयुक्त ने मांगा 2005 से अब तक के किराये का हिसाब, संचालन को लेकर हर कदम पर कई रोड़े

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ख़बर रफ़्तार, हरिद्वार:  मनसा देवी रोपवे किराये का हिसाब नगर निगम के पास नहीं है। ऐसा तब माना जा रहा है जब राज्य सूचना आयुक्त की ओर से सख्त लहजे में नगर निगम को हिसाब देने का आदेश दिया गया है।

सूचना आयुक्त योगेश कुमार भट्ठ ने यह आदेश दीपक कुमार ठाकुर निवासी कनखल की ओर से लगाई गई अपील की सुनवाई करते हुए नगर निगम को दिए हैं।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि नगर निगम ने रोपवे से मिले किराये के संबंध में मांगी गई जानकारी का जवाब स्पष्ट नहीं दिया। दीपक ने 1 नवंबर 2023 को राज्य सूचना आयोग में अपील की थी। आयोग की ओर से सूचना उपलब्ध कराने के आदेश के साथ ही प्रथम अपीलीय अधिकारी को नोटिस जारी करने के आदेश दिए थे। इसके बाद जो सूचना अपीलकर्ता को दी गई वह अपूर्ण मिली।

अपील की फिर से सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त ने अपीलीय अधिकारी को संपूर्ण और स्पष्ट विवरण के साथ आयोग के समक्ष प्रस्तुत होने के आदेश दिए।

उपलब्ध कराई जाएगी जानकारी : नगर निगम

नगर निगम प्रशासन का कहना है कि मांगी गई जानकारी पूरे विवरण के साथ उपलब्ध कराई जाएगी। सहायक नगर आयुक्त श्यामसुंदर ने कहा कि नगर निगम राज्य से मिलने वाले विभिन्न मद की धनराशि से कर्मचारियों को वेतन देता है। अन्य स्रोत से होने वाली आय से विकास और निर्माण कार्य किए जाते हैं। बोर्ड में स्वीकृत करीब नौ करोड़ रुपये से कुल 60 वार्डों में विभिन्न विकास कार्य किए जा रहे हैं। रोपवे का किराया हो या अन्य स्रोत की आय से विकास कार्य होते आ रहे हैं।

 … तो 40 वर्ष पुराने रोपवे की राह में अभी और भी कई रोड़े

रोपवे संचालन को लेकर हर कदम पर कई रोड़े हैं। पहले हाईकोर्ट के एक आदेश के तहत 31 जनवरी को एक्सटेंशन की अवधि को अंतिम बताकर संचालन पर रोक लगी।
संचालन कर रही फर्म ऊषा ब्रेको ने किराया बढ़ाकर देने के एवज में एक्सटेंशन मांगा और नगर निगम जन सुविधा का हवाला देकर हाईकोर्ट पहुंचा। इस पर हाईकोर्ट ने सशर्त तीन माह का एक्सटेंशन दे दिया। अब बाधा 40 वर्ष पुराने रोपवे के संचालन को लेकर है। नगर निगम की ओर से रोपवे संचालन को लेकर कंसल्टेंट फर्म का चयन करना है। इसके लिए टेंडर नोटिस भी जारी कर दिया गया है। 31 जनवरी तक कंसल्टेंट फर्म के मसौदे के आधार पर उसका चयन किया जाएगा।
कई बिंदुओं पर नगर निगम को पूछना है सवाल
नगर निगम की ओर से इच्छुक फर्म के समक्ष चुनौती और शर्त भी रखी जाएगी। इसके लिए 31 जनवरी से पहले आवेदक फर्म के साथ बैठक करनी होगी। इसमें बताया जाएगा कि रोपवे 40 वर्ष पुराना है। इसमें यह सवाल उठेंगे कि संचालन से पूर्व इसके पुनर्निमाण की आवश्यकता है या नहीं, रोपवे के आधुनिक तकनीकी से फर्म किस तरह जोड़ेंगे और उसे विकसित करने की योजना क्या है। नई तकनीकी का आधार यह होगा कि पर्यटकों की आवक को देखते हुए क्षमता बढ़ाने के संबंध में उनका क्या प्लान है। वर्तमान में एक ट्रॉली में चार लोग ही जा सकते हैं।

 पहाड़ी का भी रखना होगा ध्यान

हिमाचल के नैना देवी में हुए पूर्व में हादसे को देखते हुए यह भी ध्यान रखना होगा कि मंदिर में अधिक भीड़ ना जाए। यदि नए टेंडर में संचालन करने वाली फर्म नई तकनीकी के रोपवे का निर्माण करती है तो मंदिर और उसके परिसर में भीड़ की आवक इस तरह न हो कि वहां हादसे का खतरा बने। दूसरी तरफ मनसा देवी पहाड़ी के भूस्खलन जोन में होने और ट्रीटमेंट के प्लान को भी संचालन करने वाली फर्म को समझना ही नहीं समन्वय बनाकर कार्य करना होगा।

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