
खबर रफ़्तार, लखनऊ: बढ़ता वायु प्रदूषण चिंता का विषय है,इससे बच्चों में कुपोषण और बौनापन जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं। यह कहना है केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सूर्यकांत का। वह बुधवार को निजी नर्सिंग कॉलेज में वायु प्रदूषण पर आयोजित जागरूकता कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि वायु प्रदूषण टीबी, निमोनिया, सीओपीडी, और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों को बढ़ाता है। बच्चों को विभिन्न समस्याएं देने के साथ गर्भावस्था के दौरान भ्रूण पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकता है। इससे नवजात शिशुओं में संक्रमण और जन्मजात बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।
उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों को सलाह दी कि वह मरीजों से बातचीत के दौरान घरेलू प्रदूषण स्रोतों के बारे में पूछें, जैसे कि लकड़ी और कोयले का उपयोग, अगरबत्ती, धूप, पालतू जानवरों के कारण उत्पन्न कण और पैसिव स्मोकिंग। उन्होंने बताया कि सिगरेट के धुएं का केवल 30 फीसदी ही धूम्रपान करने वाला व्यक्ति ग्रहण करता है, जबकि शेष 70 फीसदी वातावरण को प्रदूषित करता है और पास बैठे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है।
लंग केयर फाउंडेशन और डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन की ओर से हुए आयोजन में डॉ. अनीता सिंह और डॉ. राजीव खुराना समेत 200 से ज्यादा छात्रों ने हिस्सा लिया।
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