इंजीनियर ही नहीं तो कैसे पड़ेगी विकास की नींव

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खबर रफ़्तार, अल्मोड़ा:  सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में कई ऐतिहासिक धरोहर इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना हैं। जागेश्वर धाम, सूर्य मंदिर कटारमल, ऐतिहासिक मल्ला महल सहित अन्य धरोहर अद्भुत इंजीनियरिंग का प्रमाण हैं। नगर में 150 साल से अधिक प्राचीन भवन इस पर अपनी मुहर लगा रहे हैं। इसके बावजूद यह जिला इंजीनियरों की कमी से जूझ रहा है। जिले के लोक निर्माण विभाग, जल संस्थान, सिंचाई खंड, यूपीसीएल जैसे महत्वपूर्ण विभागों में अभियंताओं के 32 पद रिक्त हैं, इससे विकास कार्यों को रफ्तार नहीं मिल रही है।

लोनिवि प्रांतीय खंड अल्मोड़ा में कनिष्ठ अभियंता के 16 पदों के सापेक्ष तीन पद रिक्त हैं। रानीखेत में सहायक अभियंता के चार में से एक, कनिष्ठ अभियंता के 14 में से तीन पद रिक्त हैं। निर्माण खंड अल्मोड़ा में सहायक अभियंता के चार पदों में से एक, कनिष्ठ अभियंता के 12 में से दो पद रिक्त हैं। निर्माण खंड रानीखेत में सहायक अभियंता के चार स्वीकृत पदों के सापेक्ष एक, कनिष्ठ अभियंता के 14 पदों में से दो पद रिक्त हैं।

यूपीसीएल अल्मोड़ा में अधिशासी अभियंता का एक पद स्वीकृत हैं जो रिक्त चल रहा है। सहायक अभियंता के चार स्वीकृत पदों में से एक, अवर अभियंता के नौ में से तीन पद रिक्त हैं। जल संस्थान में कनिष्ठ अभियंता के 11 पद सृजित हैं, इसके सापेक्ष पांच पद रिक्त हैं। सहायक अभियंता के चार में एक पद रिक्त चल रहा है।
सिंचाई खंड में कनिष्ठ अभियंता और अपर सहायक अभियंता के 16 सृजित पदों के सापेक्ष छह पद रिक्त हैं। सहायक अभियंता के चार में से दो पद रिक्त हैं। इंजीनियरों की कमी से जूझ रहे इन महत्वपूर्ण विभागों के लिए विकास कार्यों को अंजाम तक पहुंचना चुनौती बना है जिसकी मार जिले के लोग सहने के लिए मजबूर हैं।

सिंचाई खंड के ईई मोहन सिंह रावत का कहना है कि अभियंताओं की कमी से विकास कार्यों को पूरा करने में दिक्कत आ रही है। रिक्त पदों पर नियुक्ति शासन स्तर पर ही संभव है।

अल्मोड़ा जलसंस्थान के ईई अरुण कुमार सोनी का कहना है कि अभियंताओं के रिक्त पदों की सूचना शासन को भेजी गई है। निश्चित तौर पर अभियंताओं की कमी से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

चर्च में दिखती है रोमन इंग्लिश शैली की झलक

अल्मोड़ा। 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में बना नगर का बडन मेमोरियल चर्च इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना है। करीब 30 मीटर ऊंचा और 40 मीटर लंबा यह चर्च रोमन इंग्लिश शैली में बना है। ऐतिहासिक और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध यह चर्च पर्यटकों के आकर्षण का भी केंद्र है।

टैगोर भवन भी है खास

अल्मोड़ा। छावनी क्षेत्र में स्थित टैगोर भवन की वास्तुकला भी देखने लायक है। महान कवि और साहित्यकार रवींद्र नाथ टैगोर मई 1937 में कोलकाता से अल्मोड़ा आए। उनके साथ उनके पुत्र रथी और पुत्र वधु प्रतिमा भी थीं। वह कई दिनों तक इस भवन में रुके। 1961 में टैगोर शताब्दी वर्ष में इस भवन को टैगोर भवन का नाम दिया गया।

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