ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड में गर्म पानी के स्रोत अब बिजली बनाने का जरिया बनेंगे। आइसलैंड की तकनीक से गरम पानी की भाप टरबाइनों को घुमाएगी और बिजली पैदा करेगी। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देश में अपनी तरह के पहले प्रोजेक्ट को चमोली के तपोवन में स्थापित करेगा।
यह होगी प्रक्रिया
तकनीक के तहत गरम पानी के स्रोत वाली जगह को ड्रिल किया जाता है। जमीन की सतह के भीतर पानी का तापमान 100 से 140 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इसके बाद इसमें ऊपर से 70 से 80 डिग्री सेल्सियस तापमान के पानी को गिराया जाता है। इससे तेज गति से भाप निकलती है। यही भाप टरबाइन पर टकराकर उसे तेजी के साथ घुमाएगी और बिजली बनेगी। इसके लिए पूरी मैकेनिज्म तैयार की जाती है। खास तरीके से टरबाइनों को इंस्टॉल किया जाता है। फिलहाल तपोवन में 20 मेगावाट तक बिजली उत्पादन किया जाएगा। इस तकनीक से प्रदेश भर में 10 हजार मेगावाट तक बिजली उत्पादन का लक्ष्य है।
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