ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड की सीमा में हिमाचल ने खनन का पट्टा जारी कर दिया। यमुना नदी क्षेत्र में जारी किए गए पट्टे को दोनों राज्य अपना बता रहे हैं। मामला अब जिला जज पांवटा साहिब सिरमौर की अदालत में है। मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी 2024 को होनी है, लेकिन अभी तक वन विभाग को पैरवी के लिए अधिवक्ता ही नहीं मिल पाया है।
वन विभाग ने दिया 1879 में हुए नोटिफिकेशन का हवाला
पश्चिमी शिवालिक आरक्षित वन का नोटिफिकेशन तत्कालीन यूनाइटेड प्रान्विस ऑफ आगरा एवं अवध जिला देहरादून वेस्ट परगना के अंतर्गत नोटिफिकेशन 27 फरवरी 1879 में किया गया है। इसके अनुसार, आरक्षित वन की पश्चिमी सीमा यमुना नदी की धारा का मध्य भाग है, जो कालसी वन प्रभाग के अधीन आता है।
यह दो राज्यों के सीमांकन का मामला है। सर्वे ऑफ इंडिया के अलावा राजस्व और वन विभाग के सर्वेयरों की ओर सीमांकन विवाद को खत्म करने के लिए सर्वे किया जा चुका है, लेकिन नतीजा नहीं निकल पाया है। अब मामला न्यायालय में है। पैरवी के अधिवक्ता की मांग लिए शासन को पत्र लिखा गया है। शासन के जवाब का इंतजार किया जा रहा है।
– मान सिंह, मुख्य वन संरक्षक सतर्कता एवं विधि प्रकोष्ठ, वन विभाग
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