ख़बर रफ़्तार, नैनीताल: लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे अंतरधार्मिक जोड़े की सुरक्षा से संबंधित मामले में हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि यदि प्रेमी युगल 48 घंटे के भीतर उत्तराखंड की समान नागरिक संहिता के तहत खुद को पंजीकृत कराता है तो उसे अनिवार्य रूप से सुरक्षा दी जाए।
इस मामले में शासकीय अधिवक्ता ने स्पष्ट किया है कि मामले की पैरवी करने वाले सरकारी अधिवक्ता को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। यह एक गलतफहमी थी। संशोधित आदेश जारी करने के लिए यूसीसी से संबंधित हिस्से को आदेश से हटा दिया जाएगा। इस बाबत शनिवार को एक रिकॉल एप्लीकेशन दाखिल की जाएगी।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता 48 घंटे के भीतर उक्त अधिनियम के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन करते हैं तो एसएचओ याचिकाकर्ताओं को छह सप्ताह तक पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगा।
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